कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को नई दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस पार्टी कल महामहिम राष्ट्रपति जी के यहां गई थी। हमें राजधर्म के बारे में बताया जा रहा है। आज मुझे राजधर्म के बारे में कांग्रेस पार्टी और सोनिया जी से कुछ सवाल करने हैं।”
उन्होंने कहा कि “सोनिया जी पहली बात आप ये बताइए कि जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के विस्थापित हैं, जिनको उनकी आस्था के आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है, उसको लेकर आपकी पार्टी की एक सोच रही है। आपके नेताओं ने बार-बार खुलकर इस पर स्टैंड लिया था।” इस दौरान उन्होंने कहा कि इंदिरा जी ने युगांडा के विस्थापितों की मदद की थी, राजीव गांधी जी ने तमिल लोगों की मदद की थी, मनमोहन जी ने कहा था कि नागरिकता मिलनी चाहिए और अशोक गहलोत जी तो शिवराज पाटिल और आडवाणी जी को पत्र लिखा था कि नागरिकता मिलनी चाहिए।
कानून मंत्री ने कहा कि ये कौन सा राजधर्म है कि आज सब पलट गए। सोनिया जी आपको इसका जवाब देना पड़ेगा कि क्या मनमोहन जी ने जो किया था वो गलत था? क्या जो इंदिरा जी और राजीव जी ने काम किया था वो गलत था? उन्होंने आगे कहा कि सोनिया जी ने रामलीला मैदान में कहा था कि इस पार और उस पार की लड़ाई होगी।ये कौन सी भाषा है? उन्होंने कहा कि ये उत्तेजना नहीं है तो क्या है? उन्होंने कहा कि एनपीआर कांग्रेस सरकार ने शुरू किया। आप करें तो ठीक, हम उसी काम को करें तो उस पर जनता को उकसाया जाए।”
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उन्होंने सोनिया गांधी से सवाल किया कि जब शाहीन बाग में बच्चों को प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाया जा रहा था, तब भी आप खामोश थीं। क्या आपकी पार्टी ने ये भी नहीं कहने की जरूरत नहीं समझी कि हम इसका समर्थन नहीं करते हैं? रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दिल्ली में शांति के लिए पीएम मोदी जी ने अपील की, गृह मंत्री जी ने हर पार्टी की बैठक बुलाई। दिल्ली हिंसा में किसकी छत से पेट्रोल बम, तेजाब और क्या-क्या मिला ये सब टीवी पर दिख रहा है।
दिल्ली में शांति चाहिए और कांग्रेस राजधर्म के नाम पर देश में उत्तेजना फैलाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह समय शांति के लिए हाथ बढ़ाने का है।ये समय उत्तेजना फैलाने का नहीं है। लेकिन कांग्रस पार्टी का स्वर जो दिसंबर में आर-पार का था वही स्वर आज भी है। इसका कारण यह है कि कांग्रेस अपनी हार नहीं भूल पाती है।