केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि केंद्र सरकार अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (एआईजेएस) शुरू करना चाहती है। जिसको देखते हुए सरकार दवारा विभिन्न पक्षों के बीच सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने बताया कि इस सेवा के चार क्षेत्र होंगे और इसमें भाषा को लेकर कोई अवरोध नहीं होगा।
कानून मंत्री ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के उत्तर में कहा कि सरकार एआईजेएस शुरू करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने हाई कोर्ट सहित सभी पक्षों से अनुरोध किया कि इस व्यापक न्यायिक सुधार के लिए वे अपने ‘‘पारंपरिक’’ विरोध को त्याग दें और इस प्रयास का समर्थन करें।
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उन्होंने कहा, ‘‘सरकार सोच रही है कि एआईजेएस के लिए देशभर में चार श्रेणियां हों ताकि उत्तर, दक्षिण, पूर्व एवं पश्चिम के लोग अपने अपने क्षेत्रों में आ सकें। भाषा कोई समस्या नहीं होगी ’’ इससे पहले उनसे यह पूरक प्रश्न पूछा गया था कि क्या एआईजेएस की परीक्षाएं 29 भाषाओं में होंगी।
प्रसाद ने कहा कि इस सेवाओं को लेकर विभिन्न पक्षों से बातचीत की गयी। इनमें कई हाई कोर्ट सहित विभिन्न पक्षों ने सहमति जतायी जबकि कुछ पक्ष इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने लिखित उत्तर में बताया कि एआईजेएस की स्थापना के प्रस्ताव पर 16 जनवरी 2017 को कानून मंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी।
इसमें न्याय राज्य मंत्री, भारत के महान्यायवादी, सालिसीटर जनरल तथा अन्य ने भाग लिया। लेकिन बैठक में विभिन्न पक्षों के बीच इस प्रस्ताव को लेकर सहमति नहीं बन पाई।