भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी मौद्रिक समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि की, जिसके बाद रेपो दर 6.5 फीसदी हो गई है।
आपको बता दे कि आर्थिक विकास दर के लगभग पटरी पर आने के बीच घरेलू एवं वैश्विक कारकों से महँगाई बढ़ने की आशंका जताते हुये रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने दो महीने में दूसरी बार नीतिगत दरों में एक चौथाई फीसदी की बढ़तरी कर दी है जिससे घर एवं वाहन सहित विभिन्न प्रकार के ऋण के महँगे हो सकते हैं।
समिति की चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक समीक्षा बैठक के बाद बुधवार को जारी बयान में कहा गया है कि घरेलू स्तर पर खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़तरी के साथ ही मानसून की चाल और वैश्विक स्तर पर हो रहे घटनाक्रम से महँगाई पर असर पड़ने का अनुमान है।
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इसके मद्देनजर नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी की बढोतरी की गयी है। समिति के छह में से पाँच सदस्यों ने दरों में बढ़तरी का समर्थन किया जबकि एक ने विरोध में मतदान किया।
अब इस वृद्धि के बाद रेपो दर 6.50 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 6.25 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) दर 6.75 प्रतिशत और बैंक दर 6.75 प्रतिशत हो गयी है। हालांकि, नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
समिति ने दूसरी द्विमासिक समीक्षा में भी 06 जून को नीतिगत दरों में एक चौथाई फीसदी की बढ़तरी की थी।
बता दे कि आरबीआई के मुताबिक , अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान जीडीपी ग्रोथ 7.5-7.6 फीसदी रहने की उम्मीद है। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.4 फीसदी के स्तर पर बरकरार रखा है।
इससे पहले साल अक्टूबर 2013 के बाद पहली बार आरबीआई ने लगातार दो बार रिपो रेट में बढ़ोतरी की है। आपको बता दें कि आरबीआई जिस रेट पर बैंको को शॉर्ट टर्म लोन देता है उसे रिपो रेट कहते हैं। रिवर्स रिपो रेट उस रेट को कहते हैं जिसपर कमर्शल बैंक आरबीआई को लोन देते हैं।