कोरोना वायरस (कोविड-19) के बढ़ते प्रभाव के बीच रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह बढ़ाने और कर्ज सस्ता करने के लिये रेपो दर, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) रिवर्स रेपो दर में बड़ी कटौती की घोषणा की। रिजर्व बैंक ने यह कदम सरकार की तरफ से बृहस्पतिवार को गरीबों, बुजुर्गों और महिलाओं के लिये 1.70 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किये जाने के एक दिन बाद उठाया है।
केन्द्रीय बैंक ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति की तीन दिवसीय समिति की बैठक के बाद शु्क्रवार को रेपो दर में .75 प्रतिशत की कटौती कर दी। इस कटौती के बाद रेपो दर 4.40 प्रतिशत पर आ गई। इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर में भी .90 प्रतिशत की कटौती कर इसे 4 प्रतिशत पर ला दिया। रिजर्व बैंक ने बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी एक प्रतिशत की कमी की है जो कि घटकर तीन प्रतिशत रह गई। इन तमाम उपायों से अर्थव्यवस्था में 3.74 लाख करोड़ रुपये की नकदी बढ़ने का अनुमान है।
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रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक मिशन में रहकर काम कर रहा है। मौजूदा परिस्थिति में जो भी जरूरी होगा रिजर्व बैंक वह कदम उठायेगा। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति की बैठक पहले अप्रैल के प्रथम सप्ताह में होनी थी लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुये इसे 25 से 27 मार्च के बीच कर दिया गया। शक्तिकांत दास ने कहा कि सीआरआर में कटौती, रेपो दर आधारित नीलामी समेत अन्य कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए 3.74 लाख करोड़ रुपये के बराबर अतिरिक्त नकद धन उपलब्ध होगा।
गवर्नर ने कहा, रेपो दर में कमी से कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली सुरक्षित और सुदृढ़ है। हाल के दिनों में शेयर बाजार में कोरोना से संबंधित अस्थिरता ने बैंकों के शेयर की कीमतों को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ निजी क्षेत्र के बैंकों से जमा राशि की निकासी में समस्या आयी है। उन्होंने कहा कि देश में बैंकिंग प्रणाली मजबूत, निजी बैंकों में जमा पूरी तरह सुरक्षित, लोगों को घबराकर पैसा निकालने की जरूरत नहीं।
रिज़र्व बैंक ने कहा कि कच्चा तेल के दाम और मांग में कमी से खुदरा मुद्रास्फीति कम होगी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर असर हुआ है और वैश्विक मंदी की आंशका है।आरबीआई ने कहा कि पूरी स्थिति पर कड़ी नजर है प्रणाली में नकदी बढ़ाने के लिये हर कदम उठाये जाएंगे। मौद्रिक नीति समिति ने अनिश्चित आर्थिक माहौल को देखते हुए अगले साल के लिये आर्थिक वृद्धि दर, मुद्रास्फीति के बारे में अनुमान नहीं जताया।
आरबीआई ने कर्ज देने वाले सभी वित्तीय संस्थानों को सावधिक कर्ज की किस्तों की वसूली पर तीन महीने तक टालने की छूट दी। उन्होंने कहा कि कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान नहीं किये जाने को चूक (डिफॉल्ट) नहीं माना जाएगा, इससे कर्जदार की रेटिंग (क्रेडिट हिस्ट्री) पर असर नहीं पड़ेगा। देश की आर्थिक बुनियादी स्थिति 2008 के वित्तीय संकट की तुलना में अभी भी मजबूत है ।