राज्यसभा में संसदीय समिति ने शुक्रवार को वोटर्स के अलग वोटिंग लिस्ट में नाम दर्ज होने के साथ कई प्रकार की गड़बड़ियों को रोकने के लिए वोटर आईडी कार्ड को आधार से जोड़ने की सिफारिश की। कार्मिक जनशिकायत और विधि एवं न्याय मंत्रालय से संबंधित स्थायी समिति की संसद में पेश रिपोर्ट में वोटर लिस्ट की गड़बड़ी को रोकने के लिए वोटर आईडी कार्ड को आधार से जोड़ने के विकल्प पर सहमति जताई गई है।
राज्य सभा सदस्य भूपेन्द्र यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा, ‘‘स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र का मजबूत आधार और संविधान के मौलिक ढांचे का हिस्सा है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इसके मद्देनजर समिति इस बात की पैरवी करती है कि आधार कार्ड को वोटर आईडी को जोड़ने से एक ही वोटर लिस्ट का कई वोटर आईडी में नाम दर्ज होने जैसी समस्याओं से बचा जा सकेगा।’’
समिति ने कहा कि किसी वोटर के निवास का पता बदलने के कारण नए पते से संबंद्ध वोटर आईडी में नाम दर्ज होने के अलावा पिछले पते से संबद्ध सूची में भी उसका नाम नहीं हटने के कारण इस तरह के दोहराव की समस्या सामने आती है। इसे देखते हुये समिति ने सिफारिश की है कि सरकार आधार कार्ड से वोटर आईडी को जोड़ने की दिशा में कारगर कदम उठा सकती है जिससे मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाया जा सके, यह लोकतंत्र के हित में भी होगा।
ज्ञात हो कि वोटर आईडी को आधार से जोड़ने के चुनाव आयोग के अभियान के तहत लगभग 31 करोड़ वोटर आईडी को आधार से जोड़ा जा चुका है। आयोग के आंकड़ों के अनुसार देश में पंजीकृत कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 91 करोड़ है।
समिति ने ईवीएम से वोट की पुष्टि के लिये इसे वीवीपेट से जोड़ने को सराहनीय पहल बताते हुये कहा कि इससे पारदर्शी वोटिंग की प्रक्रिया के प्रति वोटिंग का विश्वास बढ़ा है। समिति ने कहा कि ईवीएम के बजाय मतपत्र से वोट कराने की मांग को उच्चतम न्यायालय ने भी नहीं स्वीकार किया है।
समिति ने कहा कि मतपत्र के दौर में पोलिंग स्टेशन की लूट और फर्जी वोट की समस्या अब ईवीएम के कारण अतीत का हिस्सा बन गई है। इसके मद्देनजर समिति ने विधायिका की तर्ज पर स्थानीय निकायों के चुनाव में भी वीवीपेट युक्त ईवीएम से मतदान कराने की सिफारिश की है।
समिति ने तीन स्तरीय चुनाव प्रणाली के तहत लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव में उम्मीदवारों की योग्यता के मानक एक समान होने के आधार पर एक ही वोटिंग आईडी बनाने का सुझाव दिया है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा व्यवस्था में राज्य चुनाव आयोग स्थानीय चुनाव संपन्न कराते हैं और इसके लिये अलग वोटर आईडी बनती है। आयोग ने कहा कि एक ही वोटर आईडी होने से न सिर्फ समय और संसाधनों की बचत होगी बल्कि वोटरों के मन में व्याप्त भ्रम को भी दूर किया जा सकेगा।