सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने न्यायाधिकरणों (Tribunals) में रिक्त पदों को भरने में “बिना सोचे” की गई कार्रवाई पर अफसोस जताया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि नौकरशाही इस मुद्दे को ‘हल्के’ में ले रही है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि उन्हें NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के सदस्यों के लिए समय बढ़ाने के लिए याचिकाएं मिल रही हैं।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ देश भर के विभिन्न न्यायाधिकरणों में भारी रिक्तियों के मुद्दे पर गौर कर रही है। पीठ ने कहा कि शुरू में कुछ नियुक्तियों के बाद, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पीठ ने कहा कि एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के सदस्यों के लिए समय बढ़ाने की खातिर याचिकाएं मिल रही हैं। पीठ ने कहा कि शुरू में कुछ नियुक्तियों के बाद कुछ नहीं हुआ।
न्यायाधिकरणों में खाली पदों को लेकर SC ने कहा- नौकरशाही इसे हल्के में ले रही
कोर्ट ने कहा कि उसे सदस्यों के भविष्य के बारे में पता नहीं है और कई सदस्य सेवानिवृत्त हो रहे हैं। पीठ ने कहा कि नौकरशाही इस विषय को हल्के में ले रही है। पीठ में न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं।अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल रिक्तियों से संबंधित मामलों से निपटने में पीठ की सहायता कर रहे हैं।
उन्होंने रिक्तियों की सूची और उन्हें भरने के लिए उठाए गए कदमों को दिखाने का प्रयास किया। पीठ ने कहा कि वह इस विषय पर दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगी। पिछले साल अगस्त में सुनवाई में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, देश भर के विभिन्न प्रमुख न्यायाधिकरणों और अपीलीय न्यायाधिकरणों में करीब 250 पद खाली हैं।
भाषा अविनाश नरेश