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राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण को खारिज करते हुए राकांपा ने कहा- लोकतंत्र भ्रम नहीं है

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सदस्य फौजिया खान ने स्वतंत्रता, सार्वभौमिकता, धर्मनिरपेक्षता, न्याय, आजादी और लैंगिक समानता पर सरकार के दावों को खारिज करते हुए सोमवार को दावा किया कि पिछले कुछ सालों में संवैधानिक मूल्यों का अवमूल्यन हुआ है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सदस्य फौजिया खान ने स्वतंत्रता, सार्वभौमिकता, धर्मनिरपेक्षता, न्याय, आजादी और लैंगिक समानता पर सरकार के दावों को खारिज करते हुए सोमवार को दावा किया कि पिछले कुछ सालों में संवैधानिक मूल्यों का अवमूल्यन हुआ है।
“लोकतंत्र” भ्रम नहीं है
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए खान ने सरकार पर उपरोक्त सभी मुद्दों पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया और कहा, ‘‘लोकतंत्र भ्रम नहीं है। इस सरकार के पास एक ही अस्त्र है और वह है भ्रम अस्त्र। हर जगह भ्रम फैलाओ।’’उन्होने कहा, ‘‘आजादी को हल्के में नहीं लिया जा सकता लेकिन पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि विभिन्न संवैधानिक मूल्यों का अवमूल्यन हुआ है।’’ हालांकि फौजिया ने लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर चीन की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा कि रक्षा बजट में पिछले तीन सालों से लगातार कमी आ रही है जबकि बजट अनुमान बढ़ता जा रहा है।
सीएजी कि रिपोर्ट में क्या कहा गया ?
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की 2020 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए राकांपा नेता कहा कि सियाचीन और लद्दाख में तैनात सैनिकों को गर्म कपड़े, जैकेट और पर्याप्त पोषक खाना नहीं मिल पा रहा है।उन्होंने कहा कि सीएजी ने इसकी जांच की सिफारिश की थी लेकिन पता नहीं इस मामले में क्या हुआ।
पड़ोसी देशों के साथ भारत के मौजूदा संबंधों ‘‘चिंताजनक’’ बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में देश की सार्वभौमिकता को कैसे फायदा पहुंचेगा जब यहां 80 और 20 फीसदी की बात की जाएगी। ऐसे में तो 20 प्रतिशत (आबादी) असंतुष्ट होगी। इससे सार्वभौमिकता को मजबूती नहीं मिलने वाली है।’’
क्या है ‘धर्मनिरपेक्षता के विचार’
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार कहा कि खासकर अल्पसंख्यकों के पूजा व धार्मिक स्थलों पर हमलों में लगातार वृद्धि हो रही है और सरकार ऐसे घटनाक्रमों को तब वैधानिकता प्रदान करती है जब वह मौन साध लेती है और दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या यह धर्मनिरपेक्षता के विचार के लिए शर्मनाक नहीं है।’’कर्नाटक में स्कूल-कॉलेज के छात्राओं के हिजाब पहनने पर हो रहे विवाद का उल्लेख करते हुए खान ने कहा कि यह कैसी स्वच्छंदता है कि लोगों की पसंद पर पहरा लगाया जा रहा है।उन्होंने कहा, ‘‘मैं क्या खाऊं, मैं क्या पहनूं, मैं किससे शादी करू और किससे प्यार करूं, मैं किसकी पूजा करूं…अगर मुझे अपने पसंद की अनुमति नहीं होगी…तो कहा है आजादी…।’’
अंतरराष्ट्रीय संस्था के आंकड़ों के मुताबिक
 लैंगिक समानता पर एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में 156 देशों में भारत 140वें स्थान पर है और सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों की सूची में तीसरे स्थान पर है।उन्होंने कहा कि यह सरकार महिला सशक्तीकरण की बात करती है तो उसे महिला आरंक्षण कानून बनाना चाहिए।उन्होंने इस कड़ी में सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक महिलाओं की ‘‘नीलामी’’ का भी मुद्दा उठाया और इस पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए।

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