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पूर्वोत्तर, भारत के मुख्य हिस्सों के बीच संबंध महाभारत काल से हैं : अमित शाह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि पूर्वोत्तर के भारत के शेष हिस्से के साथ सांस्कृतिक संबंध महाभारत काल से हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि पूर्वोत्तर के भारत के शेष हिस्से के साथ सांस्कृतिक संबंध महाभारत काल से हैं। 
शाह ने कहा कि यह संबंध गुलामी के समय अस्थायी तौर पर प्रभावित हुआ था लेकिन उसे बहाल करने और उसे आगे ले जाने का समय आ गया है। शाह यहां पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) की 68वें पूर्ण सत्र को संबोधित कर रहे थे। 
उन्होंने कहा, ‘‘महाभारत में बब्रुवाहन या घटोत्कच पूर्वोत्तर से थे। अर्जुन ने मणिपुर में चित्रांगदा से विवाह किया था, श्रीकृष्ण के पौत्र ने भी पूर्वोत्तर में विवाह किया था।’’ 
शाह ने भारत रत्न से सम्मानिक डा. भूपेन हजारिका को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, ‘‘पूर्वोत्तर और देश के शेष हिस्से के बीच सांस्कृतिक संबंध नये नहीं हैं। यह गुलामी के दौरान अस्थायी तौर पर प्रभावित हुआ था…संबंध टूटने का कोई सवाल ही नहीं उठता..अब समय आ गया है जब इसे बहाल करके आगे ले जाया जाए।’’ 
शाह एनईसी के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर की संस्कृति, विरासत और संगीत को साथ लिये बिना देश के बाकी हिस्से के विकास का सवाल ही नहीं उठता।’’ 
उन्होंने कहा कि राज्यों की प्रगति आंतरिक क्षेत्रों के विकास के बिना हासिल नहीं की जा सकती। केंद्रीय मंत्री ने एनईसी से आग्रह किया कि वह अपने बजट का 30 प्रतिशत ऐसे क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास और बिजली एवं गैस कनेक्शनों तक पहुंच बनाने के लिए निर्धारित करे। 
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य है कि 2020 तक पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठ राज्य देश के रेलवे और हवाई सम्पर्क मानचित्र पर उभरें।’’ 
शाह ने कहा कि भाजपा नीत सरकार द्वारा गत पांच वर्षों में पूर्वोत्तर को प्राथमिकता देने से वह एक ऐसे क्षेत्र में परिवर्तित हुआ है जहां तेज विकास और सम्पर्क देखा जा रहा है। इस क्षेत्र को पहले उग्रवाद, सीमा विवादों, मादक पदार्थ एवं हथियार तस्करी एवं भ्रष्टाचार के लिए जाना जाता था। 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का कोई भी प्रधानमंत्री एनईसी की बैठक में शामिल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मोरारजी के अलावा वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे जो शिलांग में 2018 में एनईसी की एक बैठक में शामिल हुए थे क्योंकि वह क्षेत्र को देश के बाकी हिस्से के बराबर विकसित करना चाहते थे। 
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि दो दिवसीय पूर्ण सत्र के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय, एनईसी, आठ राज्यों की सरकारें और चुनिंदा केंद्रीय मंत्रालय पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जरूरी विभिन्न विकास मुद्दों पर प्रस्तुति देंगे। 
सूत्रों ने कहा कि चल रही परियोजनाओं पर चर्चा, क्षेत्र के लिए केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा परिव्यय और मार्च 2020 के आगे की अवधि के लिए योजनाओं के भी बैठक के दौरान आने की उम्मीद है। 

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