श्योपुर : वीर सांवरकर स्टेडियम में आयोजित हुए विशाल हिन्दू सम्मेलन में हजारों लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सर कार्यवाह सुरेश सोनी ने मुख्य वक्ता की हैसियत से बोलते हुए कहा कि आज भी हमारा देश जातियों में बंटा हुआ है,लेकिन इस जातिगत भेदभाव को भुलाने पर ही देश व समाज की तरक्की हो सकती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता परम पूज्य उत्तम स्वामी जी महाराज ने की।
जबकि मुख्य अतिथि के रूप में ओलम्पिक पदक विजेता विजेन्द्र कुमार उपस्थित हुए। कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों द्वारा भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवल के साथ की गई। इसके बाद हिन्दू सम्मेलन आयोजन समिति के अध्यक्ष बाबूलाल जाटव ने कार्यक्रम की भूमिका व स्वागत भाषण प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन डा. अनुराग त्रिवेदी द्वारा किया गया। अंत में आभार प्रदर्शन समिति सचिव नरेन्द्र मीणा द्वारा किया गया। अतिथियों के स्मृति चिन्ह समिति के कोषाध्यक्ष गिर्राज सर्राफ द्वारा भेंट किए गए।
श्योपुर में आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए सोनी ने कहा कि आज का हिन्दू सम्मेलन किसी एक व्यक्ति का नही, बल्कि हम सब का है। जब हम हिन्दू होने के नाते यहां एकत्रित हुए हैं, तो उसमें यह विचार करने की आवश्यकता है कि इस दुनिया के अंदर बहुत देश हैं लेकिन सम्पूर्ण विषयों को अपना परिवार मनाने,अपना मानने वाला चाहे वह जड़ हो चेतन्य हो पशु हो, पक्षीहो या फिर मनुष्य हो, कोई भी हो उसमें ईश्वरत्य को देखने वाला कोई दर्शन है, कोई धर्म है कोई संस्कृति है, तो वह हिन्दू है।
जब 1893 में अमेरिका की धरती पर सब धर्मों के लोग एकत्रित हुए थे, तब उस समय उस सभा के अंदर हिन्दू धर्म की विजय ध्वजा को फहरया था, ऐसे स्वामी विवेकानंद ने सब देशों के सब धर्मों के सामने कहा था कि मैं विश्व के सब लोगों के सामने उपस्थित हूं करोड़ों करोड़ हिन्दूओं की और से, मैं यहा उपस्थित उस धर्म की ओर से हूं , जिसने इस दुनिया के किसी भी कोने में किसी को भी तकलीफ हुई तो सहारा दिया। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के अपने हर गांव के हर घर के अंदर जो परम्पराएं थीं आज आधुनिकता के नाम पर हम उन्हें भूल रहे हैं।
हर घर के अंदर मां भोजन बनाते समय पहली रोटी बनाती थी और अगर उसका इकलौता बच्चा अगर भूखा हो और कहे कि मां रोटी मुझे दो, तो मां बच्चे को रोकती थी कि यह रोटी तेरे लिए नहीं है, तो बच्चा पूछता था कि किसके लिए है, तो मां कहती थी कि यह रोटी गाय के लिए है। गाय के लिए रोटी, कुत्ते के लिए रोटी, सुबह उठते तो दो मुठी अनाज छत पर डालते थे।
क्योंकि कोई पक्षी भूखा होगा उसे खाने को मिलना चाहिए। ऐसी परम्परा थी। हर घर में पानी का एक पात्र टांगते थे, क्यों, कोई पक्षी प्यासा होगा,उसे पानी पीने को मिलना चाहिए। आज हम उस हिन्दू भाव से दूर हुए तो पक्षी तो छोड़िए मनुष्य को भी पानी 15 रूपये में खरीद कर पीना पड़ रहा है।
जोशी ने कहा कि हिन्दू सम्मेलन के लिए पिछले महीनों में हुए कार्यक्रम समाज को इन हिन्दू जीवन मूल्यों की ओर लौटाने का कड़ा प्रत्यत्न है। और आज का यह प्रसंग केवल ताली बजाने का नहीं है, हर एक हिन्दू को अपने दिल के अंदर गहराई से सोचने का है। हम क्या थे आज क्या हो गए? कल को हम को क्या होना है। एक-एक व्यक्ति को प्रयत्न करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम को परम पूज्य उत्तमस्वामी जी और मुख्य अतिथि विजेन्द्र कुमार ने भी संबोधित किया।
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