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गणतंत्र दिवस समारोह : कर्तव्य पथ पर भारत की सैन्य ताकत, सांस्कृतिक धरोहर, नारी शक्ति का प्रदर्शन

देश के 74 वें गणतंत्र दिवस समारोह में यहां कर्तव्य पथ पर आत्मनिर्भरता की भावना से लैस सैन्य ताकत, विविधतापूर्ण एवं जीवंत सांस्कृतिक धरोहर और नारी शक्ति का बृहस्पतिवार को प्रदर्शन किया गया।

देश के 74 वें गणतंत्र दिवस समारोह में यहां कर्तव्य पथ पर आत्मनिर्भरता की भावना से लैस सैन्य ताकत, विविधतापूर्ण एवं जीवंत सांस्कृतिक धरोहर और नारी शक्ति का बृहस्पतिवार को प्रदर्शन किया गया।
परेड में पहली बार कई नयी भागीदारी देखने को मिली, जिनमें अग्निवीर, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की ‘केमल-माउंटेड’ टुकड़ी का ऊंट सवार महिला दस्ता और दिल्ली पुलिस की एक महिला ‘पाइप बैंड’ शामिल हैं।
समारोह की ‘थीम’ मुख्यतः ‘‘नारी शक्ति’’ रही। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य गणमान्य लोगों तथा सशस्त्र बलों के शीर्ष अधिकारियों ने भव्य परेड देखी।
मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल सीसी इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे। परेड में मिस्र के सशस्त्र बलों के एक दस्ते एवं बैंड ने भी हिस्सा लिया।
मिस्र के मार्चिंग दस्ते में वहां के सशस्त्र बलों के 144 सैनिक शामिल थे और इसका नेतृत्व कर्नल महमूद मोहम्मद अब्दुलफतेह एलखारासावी ने किया।
समारोह की शुरूआत प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रीय समर स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुबह 10.30 बजे राष्ट्रध्वज फहराया और राष्ट्रगान की धुन तथा 21 तोपों की सलामी के साथ परेड शुरू हुई।
इस बार परंपरागत 21 तोपों की सलामी 105 एमएम की भारतीय फील्ड तोपों से दी गयी जिन्हें 25-पाउंडर तोपों की जगह लाया गया है।यह रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित करता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नौसेना के मार्चिंग दल में नौ अग्निवीर–छह पुरुष और तीन महिलाएं–शामिल थे। दो महिला अग्निवीर भी नौसेना की झांकी का हिस्सा थी।
सलामी मंच पर राष्ट्रपति मुर्मू की मौजूदगी में कर्तव्य पथ पर भारत की विविध संस्कृति और रक्षा क्षेत्र की ताकत का प्रदर्शन किया गया। अत्याधुनिक हथियारों, मिसाइलों, लड़ाकू विमानों और भारतीय सैनिकों के दस्तों ने किसी भी चुनौती से निपट सकने की देश की ताकत का अहसास कराया।
अंत में रोमांच से भर देने वाले लड़ाकू विमानों को कर्तव्य पथ के ऊपर से उड़ान भरते देखा गया। धुंध के बीच कम दृश्यता में भी 50 लड़ाकू विमानों की कलाबाजियां देखने के लिए लोग उत्सुक नजर आए। विमानों ने उड़ान के दौरान भीम, बजरंग, बाज, तिरंगा, गरुड़, अमृत और त्रिशूल जैसी विभिन्न आकृतियां बनाईं।
फ्लाई-पास्ट में मिग-29, सुखोई 30एमकेआई और राफेल लड़ाकू विमान तथा सी-130 सुपर हरक्यूलस व सी-17 ग्लोबमास्टर परिवहन विमान शामिल थे। नौसेना की आईएल-38 को भी पहली और शायद अंतिम बार इस समारोह में प्रदर्शित किया गया।
सूत्रों ने बताया कि आईएल-38 ने करीब 42 साल तक नौसेना में सेवा दी है और इस साल के अंत तक उसे सेवा से हटा दिया जाएगा।
इस अवसर पर कई रंगों का साफा बांधे हुए प्रधानमंत्री मोदी परेड के बाद दर्शकों के बीच गये और उनका अभिवादन स्वीकार किया। अपने आधिकारिक वाहन के पायदान पर चढ़ते समय भी उन्होंने उत्साहित दर्शकों का अभिवादन किया।
बाद में प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘अपनी उपस्थिति से इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए मैं राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी का आभारी हूं।’’उन्होंने समारोह की तस्वीरें भी साझा कीं।
अधिकारियों ने बताया कि गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय सैन्य उपकरणों में ‘मेड इन इंडिया’ की प्रमुखता रही और यह आत्मनिर्भर भारत की भावना के अनुरूप थी।
परेड में मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन, नाग मिसाइल प्रणाली, के-9 वज्र प्रणाली का प्रदर्शन किया गया।
दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल भवनीश कुमार ने पूर्व में कहा था कि गणतंत्र दिवस समारोहों के लिए सेना की ओर से शामिल किए जाने वाले सभी साजो-सामान भारत निर्मित हैं।
परेड में मुख्य जोर नारी शक्ति को प्रदर्शित करने पर था और आकाश मिसाइल प्रणाली के प्रदर्शन का नेतृत्व लेफ्टिनेंट चेतना शर्मा ने किया।
परेड में भारतीय नौसेना के 144 सदस्यों वाले दस्ते का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर दिशा अमृत ने किया। इसके साथ ही परेड में नौसेना की झांकी भी प्रस्तुत की गई, जिसमें उसकी बहुआयामी क्षमता एवं नारी शक्ति का प्रदर्शन किया गया। ड्रोन का एक मॉडल भी झांकी का हिस्सा था।
थलसेना के मर्चिंग दस्ते में डोगरा रेजिमेंट, पंजाब रेजिमेंट, मराठा लाइट इन्फैंट्री, बिहार रेजिमेंट, गोरखा ब्रिगेड के अलावा मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री के दल शामिल थे।
सेंट्रल विस्टा की साज-सज्जा एवं नए स्वरूप में तैयार किए जाने के बाद पहली बार यहां गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया गया। साथ ही, पिछले वर्ष राजपथ का नामकरण कर्तव्य पथ करने के बाद पहली बार परेड हुई।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के उपकरणों का प्रदर्शन किया गया एवं झांकी दिखाई गई, जो राष्ट्र की सुरक्षा के लिए प्रभावी निगरानी, संचार और खतरों से निपटने पर केंद्रित थी। इसमें स्वदेशी प्रतिरक्षा प्रणाली डब्ल्यूएचएपी सहित अन्य निगरानी उपकरण शामिल थे।
परेड में तीन परम वीर चक्र और तीन अशोक चक्र विजेताओं ने भी हिस्सा लिया।
गणतंत्र दिवस पर परेड में वायुसेना के 144 सदस्यों के दस्ते ने भी हिस्सा लिया जिसका नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर सिंधु रेड्डी ने किया।
सेंट्रल विस्टा, कर्तव्य पथ, नए संसद भवन के निर्माण में शामिल श्रमयोगियों के एक समूह के साथ-साथ दूध, सब्जी और फेरी वालों को परेड के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।
परेड में 17 राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों तथा मंत्रालयों एवं विभागों की कुल 23 झांकियां प्रदर्शित की गईं। इनमें उत्तर प्रदेश, केरल, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, असम के अलावा जम्मू कश्मीर, लद्दाख आदि की झांकियां शामिल थीं।
इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने, वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे भी मौजूद थे।
रक्षा मंत्री ने गणतंत्र दिवस पर एक ट्वीट के जरिये दिए अपने शुभकामना संदेश में कहा, ‘‘सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आज का यह दिन सभी भारतवासियों के लिए देश की संवैधानिक परंपराओं को मज़बूत करने और नए भारत के निर्माण के संकल्प के प्रति स्वयं को पुनः समर्पित करने का अवसर है। भारत के सभी संविधान निर्माताओं एवं स्वतंत्रता सेनानियों को नमन।’’

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