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सिखों में आक्रोश : अगर न्याय ना मिला तो छोड़ देंगे सिख धर्म

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लुधियाना-अमृतसर : भले ही पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से हिंदू धर्म के सदस्यों के सिख धर्म अपनाए जाने की खबरें मिलती रहती है किंतु इस बार सरहद के इस पार सवा दर्जन से ज्यादा सिख धर्म से जुड़े लोगों द्वारा सच्चखंड दरबार साहिब में माथा टेकने उपरांत श्री अकाल तख्त साहिब पर जाकर क्षमायाचना सहित धर्म परिवर्तन किए जाने की सूचना प्राप्त हुई है। जानकारी के मुताबिक शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी (एजसीपीसी) से संबंधित लोकल कमेटी के 15 मुलाजिमों ने फैसला किया है कि वह सिख धर्म को छोडकर किसी अन्य धर्म को अपनाने से पहले 27 नवंबर को श्री अकाल तखत साहिब पर अंतिम बार अरदास करके अपने सभी ककार (कंघा, केश, कृपाण, कच्छेरा और कड़ा) अकाल तखत साहिब के सुपुर्द कर देंगे।

एसजीपीसी की ओर से गुरूद्वारा साहिब की नौकरी से निकाले गए यह 15 कर्मी एसजीपीसी के अध्यक्ष प्रो किरपाल सिंह बडूंगर को पत्र भेजने के बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के पास भी पहुंच गए है। जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह को ज्ञापन सौंपने हुए इन कर्मचारियों ने चेतावनी दी है अगर उनकों एसजीपीसी ने नौकरी पर बहाल न किया तो वह अपने सारे ककार 26 नवंबर को श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंच कर त्याग देंगे। 27 नवंबर को वह सभी किसी अन्य धर्म को अपना लेंगे।

एसजीपीसी के प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बंडूगर को लिखे पत्र के जरिये मुलाजिमों ने लिखे पत्र में प्रो. किरपाल सिंह बंडूगर का ध्यान इस ओर दिलाते हुए लिखा है कि उन्हें लोकल कमेटी ने भर्ती किया है।व लोक कमेटी से गुरूद्वारा छीनने के लिए कई प्रकार के हथकंडें अपनाए गए तो गुरूद्वारे को सैक्शन 85 के तहत एसजीपीसी के अधीन नहीं लाया गया बल्कि पं्रबंध करने के लिए ही गुरूद्वारा छेहरटा साहिब से जोडा गया है।

गुरूद्वारा छेहरटा साहिब के मैनेजर जगतार सिंह पर भी आरोप लगाए गए है कि वह कर्मियों को पक्का करने के बदले पचास हजार रूपये प्रति व्यक्ति रिश्वत मांग रहे है ताकि निकाल गए कर्मियों को एसजीपीसी में भर्ती किया जा सके। उल्लेखनीय है कि आम तौर पर जब भी शिरोमणि कमेटी किसी भी गुरूद्वारे को अपनी अधीन करती है तो उसके सभी मुलाजिमों को भी साथ लेना पडता है। एसजीपीसी केवल उस गुरूद्वारे का प्रबंध अपने हाथ लेती है, जहां की आय भी बीस लाख से उपर हो। इन कर्मियों के अनुसार वह एसजपीसी के मुखय सचिव रूप सिंह से मिलने गए थे लेकिन उनकी अनुपस्थिति में सचिव हरभजन सिंह मानवां को मिले तो उन्हें दफतर से बाहर निकलवा दिया गयाव कहा कि जाओ जाकर हल्के के मैंबर सुरजीत सिंह से राफता कायम करेंं।

इन कर्मियों ने एसजपीसी प्रधान बंडूबर को लिखकर दिया है कि वह 26 नवंबर तक का समय देते है कि उन्हें इंसाफ दिया जाए। अन्यथा 27 नवंबर को वह उपरोक्त फैसले को अमल में ला देंगे। इस संबंधी हलके के एसजीपीसी मैंबर सुरजीत सिंह ने कहा कि यह एक प्रबंधकीय मामला है तथा उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। इस संंबंधी गुरूद्वारा साहिब छेहरटा के मैनेजर जगतार सिंह व एसजपीसी के मुखय सचिव रूप सिंह से भी संपर्क करने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

– सुनीलराय कामरेड

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