महाराष्ट्र के नागपुर के बोर टाइगर रिजर्व की एक बाघिन की किस्मत पर गुरुवार (12 अक्टूबर) को फैसला होना है। यह बाघिन एक शिकारी और रेडियो कॉलर को मात देते हुए 500 किलोमीटर का सफर तय करके वापस रिजर्व में लौटी है।
आपको बता दे कि बाघिन 29 जुलाई को बोर से निकली थी और 76 दिन तक घूमती रही। इस यात्रा के दौरान वह जंगल, पहाड़, घास, सड़क सब पर चली, उसने चार लेन के नेशनल हाईवे 6 को दो बार क्रॉस किया। माना जा रहा है कि इतने लंबे वक्त तक वह मवेशियों और छोटे शिकार पर जीवित रही, लेकिन इस सफर में उसने दो लोगों की जान भी ले ली जिसकी वजह से अब उसकी जिंदगी खतरे में है।
दरअसल, इस बाघिन को 10 जुलाई को महाराष्ट्र में चंद्रुपर जिले के दक्षिणी ब्रह्मपुरी इलाके से पकड़ा गया था और उसे 29 जुलाई को हिंगानी जिले स्थित बोर टाइगर रिजर्व लाया गया था। लेकिन बोर टाइगर रिजर्व से बाघिन निकल गई। हालांकि बाघिन के शरीर पर एक रेडियो कॉलर लगा था जो लगातार बाघिन का लोकेशन दे रहा था।
वही बाघिन को ढूंढने के लिए एक टीम लगातार उसके पीछे रही जिसमें एक शिकारी भी शामिल था। शिकारी को बाघिन को मारने का आदेश मिला हुआ था, लेकिन उससे पहले ही वह बोर में वापस आ गई। टीम ने बाघिन को ढूंढने के लिए हाथी, जेसीबी, ट्रक का इस्तेमाल किया, लेकिन उसने सबको चकमा दे दिया।
बता दें कि वन विभाग ने इससे पहले बाघिन को गोली मारने का फैसला किया था, लेकिन कोर्ट में मामला पहुंचा, तो वन विभाग को आदेश वापस लेना पड़ा। इस मामले में पिछली सुनवाई में वन विभाग ने कोर्ट में अर्जी दायर की थी। जिसके अनुसार बाघिन ने 19 सितंबर को दो लोगों पर हमला कर उनकी जान ले ली थी। कोर्ट में याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखा था और वन विभाग के फैसले पर सवाल उठाए थे। जिसके बाद कोर्ट ने वन विभाग से बाघिन के आदमखोर होने के सबूत देने के लिए कहा। इस बीच बाघिन का आतंक लगातार बढ़ता रहा। सोमवार को वन विभाग ने कोर्ट में बाघिन के आदमखोर होने के सबूत सौंपे। जिसके बाद बाघिन को गोली मारने के आदेश दिए गए।
वही बाघिन की किस्मत का फैसला अब महाराष्ट्र हाईकोर्ट करेगा। आदमखोर होने की वजह से उसे या तो मार दिया जाएगा या फिर हमेशा के लिए कैद कर लिया जाएगा।