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शिवराज को पुन: सत्ता में लाएगी भावांतर योजना

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भोपाल: किसान विरोधी सरकार होने के तमगे से शिवराज सिंह चौहान को राहत मिली है मध्यप्रदेश में किसानों पर फायरिंग के बाद सभी विपक्षी पार्टियों द्वारा सरकार पर किसान विरोधी कई गंभीर आरोप लगाए गए थे, किन्तु यह आरोप भावंतर योजना लागू होने के बाद धूल से नजर आ रहे हैं। प्रदेश सरकार ने चुनाव के पहले किसानों के लिए अपना खजाना खोल दिया है। लगभग 5000 करोड़ रुपया भावंतर योजना में किसानों के खाते तक पहुंचेगा।

इससे किसानों की स्थिति में परिवर्तन होगा और भाजपा का ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ा जनाधार तैयार होगा। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में पिछले 2 वर्षों से सरकार के खिलाफ किसान लामबंद हो रहे थे, किंतु किसानों के हित में भावंतर योजना ने माहौल में परिवर्तन कर दिया है, जिससे सरकार के पक्ष में बड़ा माहौल तैयार हो रहा है।

जो किसानों के लिए संजीवनी का काम कर रही है। भावांतर योजना से किसानों को उनकी फसल का पूर्ण दाम मिल रहा है और किसानों की स्थिति में मध्यप्रदेश में सुधार होने के संकेत मिलने लगे हैं। इस योजना के पीछे मध्य प्रदेश के अनुभवी अधिकारी कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा को क्रेडिट  मिल रहा है।

क्या है भावांतर योजना: मध्यप्रदेश के किसानों को कृषि उपज का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर खरीफ-2017 के लिए अधिसूचित कृषि उपज मंडी के प्रांगण में किसान द्वारा अपनी फसल विक्रय किए जाने पर राज्य सरकार द्वारा निहित प्रक्रिया अपनाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा मंडियो की मॉडल विक्रय दर की अंतर की राशि को मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना के अंतर्गत किसान के बैंक खाते में जमा किया जावेगा। मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना के अन्तर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु किसान द्वारा 3500 प्राथमिक सहकारी समितियां गेहूं तथा धान के ई-उपार्जन का काम करती हैं।

मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना हेतु तैयार किए गए पोर्टल पर पंजीयन करना अनिवार्य होता है। इस योजनांतर्गत सोयाबीन, मूंगफली, तिल, रामतिल, मूंग, उड़द, तुअर, मक्का, धान, ज्वार, बाजरा, गेहूं उत्पादक किसान अपना पंजीयन कराकर योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। योजना में शामिल होने हेतु अर्हताएं- इस योजना का लाभ लेने हेतु किसान को मध्यप्रदेश का नागरिक होना अनिवार्य है। साथ ही किसान का पंजीयन मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना के पोर्टल में होना अनिवार्य है।

जिन कृषकों का नाम एवं जानकारी इस पोर्टल पर दर्ज नहीं होगी, उन्हें योजना का लाभ प्राप्त नहीं होगा। पोर्टल पर पंजीयन के समय किसान द्वारा स्वयं का आधार कार्ड क्रमांक, समग्र आईडी क्रमांक, बैंक का नाम एवं खाता क्रमांक तथा मोबाइल नंबर दर्ज कराना आवश्यक होगा। योजना का लाभ जिले में विगत वर्ष की फसल कटाई प्रयोगों पर आधारित औसत उत्पादकता के आधार पर उत्पादन की सीमा तक देय है।

मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना की 8 फसलों के संबंध में 30 अक्टूबर 2017 की स्थिति तक पोर्टल पर सत्यापन में पात्र पाए जाने की पुष्टि राजस्व विभाग द्वारा दर्ज की जाएगी। उल्लेखनीय है कि भावांतर भुगतान योजना पूरे देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में लागू की जा रही है तथा योजना के क्रियान्वयन में सभी स्तरों पर निगरानी रखी जा रही है।

योजना के प्रावधानों का गलत उपयोग किए जाने अथवा योजना में किसी भी स्तर पर अनियमितता पाए जाने पर राज्य शासन द्वारा सक्षम कार्रवाई संबंधितों के विरूद्ध की जाएगी। भावांतर योजना कांग्रेस को नहीं , किसानों को समझना हैः इस योजना से किसानों की फसलों के दाम निरंतर गिर रहे है। इस योजना से किसानों के लिये खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। यह शिवराज सिंह को समझना होगा।

कमलनाथ ने कहा कि चौहान को विकास यात्रा व भाषणबाजी छोड़ इस योजना की जमीनी हकीकत जानने खुद प्रदेश की मंडियों में जाकर किसानों से मिलना चाहिये। उसके बाद इस योजना को किसान हितैषी व इसके विरोध के पीछे कांग्रेस का हाथ बोलना वे ख़ुद ही छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को किसान हितैषी नहीं बताने वाले शिवराज बताये कि किसानों के सीने पर गोली चलवाने वाले, उनके कपड़े उतारने वाले, उनका दमन करने वाले, उन पर झूठे मुकदमे लाद उन्हें जेलों में ठूंसने वाले, जिनके राज में सर्वाधिक किसान आत्महत्या कर रहे हो, वे किसान हितैषी हो सकते है क्या?

श्री नाथ ने दावा किया कि शिवराज के झूठ की पराकाष्ठा देखो कि 50 हजार के नगद भुगतान का झूठ बोलकर प्रतिदिन किसानो व व्यापारियों में संघर्ष करवाने वाले शिवराज इसका आरोप भी कांग्रेस पर मढ़ रहे है।  उन्होंने आरोप लगाया कि शिवराज के झूठ का पालन नहीं करने वाले व्यापारियों को ख़ुद शिवराज सरकार प्रताडि़त कर रही है। सड़कों से लेकर नगद भुगतान व अन्य झूठ बोलने वाले शिवराज अब भी झूठ बोलने व अपनी हर नाकामी का इल्ज़ाम कांग्रेस पर मढऩे से बाज़ नहीं आ रहे हैं।

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