राज्यसभा में आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान गंगा में तैरती लाशों, रेमडेसिवर और ऑक्सीजन की कमी जैसी कई गंभीर मुद्दे उठाए। उन्होंने सरकार से सभी के लिए चिकित्सा का अधिकार के मकसद से कानून बनाना बनाने की मांग की।
मनोज कुमार झा ने कहा ‘‘हमें उन सबके नाम एक साझा माफीनामा जारी करना चाहिए जिनकी लाशें गंगा में तैर रही थीं, जिनके बारे में हमें कभी कुछ पता नहीं चल पाएगा। क्या राजीव सातव की उम्र थी जाने की? ऑक्सीजन के लिए लोग तड़पते नजर आए। अस्पतालों में जगह नहीं थी। यह किसकी असफलता थी? रेमडेसिवर…. और भी कई दवाएं हैं जिनका नाम कोई नहीं जानता था, वह नाम रट गए लेकिन समय पर दवाएं नहीं मिलीं।’’
आरजेडी सांसद ने कहा ‘‘यह हमें मानना चाहिए कि जिंदगी को जितनी गरिमा चाहिए, उससे अधिक गरिमा मौत को चाहिए। गंगा में तैरती लाशें….. क्या इतिहास हमें माफ कर पाएगा? सचमुच यह बहुत अफसोस की बात है कि एक पूरा तंत्र नाकाम रहा। क्या हम तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार हैं, यह आत्ममंथन हमें करना होगा।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को सभी के लिए चिकित्सा का अधिकार के मकसद से कानून बनाना चाहिए।
शिवसेना के संजय राउत ने कहा ‘‘कोविड-19 महामारी एक राष्ट्रीय आपदा है और हम सभी इससे जूझ रहे हैं। हम सभी ने किसी न किसी अपने को खोया है। यहां तक कि हमने संसद में भी अपने साथियों को खोया है। आम लोगों की हालत तो बहुत ही बुरी रही।’’
उन्होंने कहा ‘‘श्मशानों के बाहर लाशों का ढेर , 24 घंटे तक एंबुलेन्स श्मशान के बाहर खड़ी रहती थीं। गंगा के किनारे किस तरह हजारों शवों को दफनाया गया, यह सबने देखा है। इन शवों का अपमान भी हुआ है। मैं किसी व्यक्ति को दोष नहीं देता। लेकिन हर सिस्टम के पीछे एक व्यक्ति होता है।’’
उन्होंने कहा ‘‘आप आंकड़े क्यों छिपा रहे हैं? सही आंकड़े बताइये।’’ शिवसेना सदस्य के यह कहने पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि महाराष्ट्र में कोविड के मामले सर्वाधिक रहे। इस पर राउत ने कहा ‘‘महामारी से निपटने के महाराष्ट्र के तरीके की सराहना खुद सुप्रीम कोर्ट ने की है। ’’