तनाव से ग्रस्त होकर रोहतक के सुंडाना के किसान बिजेंद्र ने अपनी पत्नी और दो बच्चों की हत्या कर दी है। कर्ज में डूबे किसान बिजेंद्र ने कस्सी से अपनी पतनी की खोपड़ी चूर-चूर कर दी। किसान अपनी पत्नी पर तब तक वार करता ही रहा जब तक उसकी जान नहीं चली गई। सिर में लगी गहरी चोट कि वहज से डॉक्टर भी जान नहीं बचा सके। वहीं बेटी को मारने से पहले उसका गला घोंटा। फिर उसको भी कस्सी से काटा दिया। खेत में से अपनी जान बचाते हुए भाग रहे बेटे पर भी 6 बार कस्सी से वार किया।
पुलिस की जांच पड़ताल के बाद सुंडान में हुए इस खूनी हादसे में सबसे पहले 12 साल की किसान की बेटी जाह्नवी की जान गई। धर पर खाना खाने के बाद ताऊ के साथ लूडो खेल रही बच्ची को पिता ने उसके छोटे भाई को भेजकर बुलाया था। घर के पीछे पशु बाड़े में बच्ची को बुला कर उसके पिता ने ही गला घोंट दिया।
गला घोंट देने के बाद बच्ची को नई कस्सी से पांच बार वार किया गया। उसने तीन वार तो सिर पर और दो वार गर्दन पर किए थे। इसी दौरान किसान कि पत्नी और बेटा वहां पहुंचा। पिता को ऐसी हालत में देख कर मां और बेटा भी घबरा गए और वह खुद की जान बचाने के लिए खेतों की तरफ भाग लिए। पिता ने इनका पीछा करते हुए दोनों मां-बेटे को भी कस्सी से मार दिया।
दूर पड़े मिले शव
घर के पीछे करीब 60 कदम दूर तो किसान की बेटी जाह्नवी का शव पड़ा मिला तो वही यहां से करीब 77 कदम दूर खेत में उसके भाई दीपांशू का शव पड़ा हुआ मिला था। बेटी और बेटे के शव के बाद थोड़ी सी दूरी पर मां का शव मिला। दोनों बच्चों और पत्नी की हत्या कर देने के बाद किसान ने खुद भी पेड़ पर लटककर फंसी दे दी जिसका शव पेड पर फंदे से लटका हुआ मिला।
चार अर्थियां जलीं एक चिता पर
इस हादासे में जान गंवाने वाले परिवार के चारों सदस्यों के शव सुंडान पहुंचे। यहां से चारों के शव को शमशान घाट ले जाया गया। बता दें कि शमशान घाट में एक ही चिता पर परिवार के इन चारों लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। गांव में ये पहला दिलदहला देने वाला मामला है जिससे हर ग्रामीण आहत है।
गांव के एक भी घर नहीं जला चूल्हा
बिजेंद्र नाम के इस किसान ने हंसते खेलते परिवार को कर्ज के तनाव में डालकर अपना घर तबाह कर दिया। इस घटना की वजह से गांव का हर एक इंसान आहत में है जिसकी वह से गांव के किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला है। सरंपच कुलदीप ने कहा कि इस समय पूरा गांव बिजेंद्र के इस कदम से हैरान है। वह बहुत शांत रहता था अपना ज्यादातर समय घर में ही व्यतीत करता था। किसी से मिलता-जुलता भी नहीं था। गांव के कई सारे लोगों को तो घटना के बाद उसके गांव में होने का पता भी नहीं लगा था। वह आपस में मिलजुल कर रहता तो शायद ऐसा ना होता।