भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार ‘अनजान’ ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इशारे पर नरेंद्र मोदी की सरकार देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ देना चाहती है इसलिए पिछले छह वर्षों से भारत के सार्वजनिक उद्योगों को लगातार कमजोर किया जा रहा है।
श्री अनजान ने आज एक बयान जारी करके कहा कि कांग्रेस सरकार के दौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वदेशी का नारा लगाता था और विदेशी आयात पर चित्कार करता था। स्वदेशी जागरण मंच का गठन करके देशभर में जनसभाएं और प्रदर्शन करता था।
भारतीय जनता पार्टी के नेता इन प्रदर्शनों की अगुवाई करते थे मगर पिछले छह साल से स्वदेशी जागरण मंच कहीं दिखाई नहीं पड़ रही। देश का निर्यात 2020 में 15.9 मिलियन डॉलर घट गया। चीन से हमारा आयात पिछले पांच वर्षों में लगभग तीन गुना बढ़ गया।
हवाई चप्पल से लेकर आंगन में कपड़ा सुखाने की रस्सी तक चीन से आने लगी। देश के छोटे, मझोले कारोबार सहित हस्तकला उद्योग कब्रगाह में बदल गए। स्वदेशी जागरण मंच ,आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “विदेशी बुलाओ–देसी अर्थव्यवस्था बचाओ” का नारा लगाकर तथाकथित आर्थिक विकास की कहानी का गुणगान कर रहे हैं।
वास्तविकता में अर्थव्यवस्था गंभीर दलदल में फंस गई है। इस डर से संसद में चर्चा से बचने के लिए प्रधानमंत्री संसद के सत्र को छोटा करते चले जा रहे हैं।हद तो तब हो गई कि इस वर्ष शीतकालीन सत्र नहीं हो सका। बजट सत्र में लिखित बजट की कॉपी भी देश से आंख चुराने के लिए नहीं पेश की जाएगी।
करोना काल में बिना मास्क पहने प्रधानमंत्री सामाजिक दूरी न बनाते हुए चिपक-चिपक कर बैठे लोगों की जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। विशाल संसद के केंद्रीय कक्ष में जहां पांच मीटर की दूरी बनाई जा सकती है कोरोना का भय दिखाकर संसद की कार्यवाही को छोटा कर रहे हैं।