एक तरफ जहां राम मंदिर पर मध्यस्थता का दौर चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ संघ ने ऐलान कर दिया है कि राम मंदिर विवादित राम जन्म भूमि पर ही बनेगा आपको बता दे कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कर्नाटक के उडुपी में धर्मसंसद के दौरान ये बात कही।
आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट में 5 दिसंबर से अयोध्या मामले पर आखिरी सुनवाई होने जा रही है और उससे पहले भागवत के इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
कर्नाटक के उडुपी में वीएचपी की धर्म संसद में शुक्रवार को मोहन भागवत ने कहा कि राम जन्म भूमि पर राम मंदिर ही बनेगा और कुछ नहीं बनेगा, उन्हीं पत्थरों से बनेगा, उन्हीं की अगुवाई में बनेगा जो इसका झंडा लेकर पिछले 20-25 वर्षों से चल रहे हैं।
Ram janm bhoomi par Ram mandir hi banega aur kuch nahi banega, unhi patharon se bangega, unhi ki agvai mein banega jo iska jhanda utha kar pichle 20-25 varshon se chal rahe hain: RSS Chief Mohan Bhagwat in Udupi, Karnataka pic.twitter.com/w1LjMgp00u
— ANI (@ANI) November 24, 2017
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हम मंदिर का निर्माण करेंगे। यह लोकलुभावन घोषणा नहीं है, बल्कि हमारे विश्वास का विषय है। यह नहीं बदलेगा। मोहन भागवत ने कहा कि वर्षों के प्रयास और त्याग की बदौलत अब राम मंदिर बनने की संभावना दिखी है। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। आरएसएस चीफ ने कहा कि राम मंदिर बनने से पहले लोगों में जागरूकता होनी जरूरी थी। हम मंजिल के बेहद करीब हैं और इस वक्त हमें और ज्यादा सचेत रहना है।
अयोध्या मुद्दे पर हाल के दिनों में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर की पहल पर बातचीत हुई थी। इसके अलावा शिया वक्फ बोर्ड ने भी अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के समाधान के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है। शिया वक्फ बोर्ड ने जो प्रस्ताव दिया है, उसके मुताबिक अयोध्या में राम मंदिर बनाया जाए और लखनऊ में मस्जिद बने। बोर्ड ने सुझाव दिया है कि इस मस्जिद का नाम किसी शासक पर रखे जाने की बजाय इसे मस्जिद-ए-अमन नाम दिया जाए।
बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने अयोध्या विवाद का हल निकालने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि अयोध्या में विवादित जमीन पर भगवान श्रीराम का मंदिर बनाया जाए ताकि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच का विवाद सदा के लिए खत्म हो जाए और देश में अमन कायम हो।