कोरोना संकट के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भगवत ने रविवार को महाराष्ट्र के पालघर में हुए साधुओं की लिंचिंग पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। इसके साथ ही उन्होंने देश में मौजूद महामारी को लेकर आरएसएस कार्यकर्ताओं से इस समय जरूरतमंद लोगों की मदद करने को कहा है।
मोहन भागवत ने पालघर हिंसा पर कहा की साधुओं को पीट-पीट कर मार डाला गया। भय और क्रोध पर काबू रखें। साधुओं ने किसी का अहित नही किया था। दो ‘साधुओं’ की हत्या। क्या ऐसा होना चाहिए था? क्या कानून और व्यवस्था को किसी के हाथ में लेना चाहिए? पुलिस को क्या करना चाहिए था? यह सब कुछ सोचना है।
हमें संकट को अवसर बनाना होगा
उन्होंने कहा, “हमको लॉकडाउन का पालन करना होगा। हमे इस संकट से निकलना होगा। हमें संकट को अवसर बनाना होगा। स्वदेशी को अपनाना पड़ेगा। मोहन भगवत ने स्वावलंबी होने की बात फिर दोहरायी। उन्होंने कहा, “लॉकडाउन से हवा-पानी ठीक हुआ है। इस पर विचार करना होगा।
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हमको इस बात पर विचार करना होगा कि हम लॉकडाउन के खत्म होने के बाद फिर से रोजगार का साधन कैसे पैदा कर सकते हैं।” लॉकडाउन के दौरान आरएसएस सक्रिय है, संगठन राहत कार्य में जुटा है। भारत ने इस महामारी का प्रभावी रूप से मुकाबला किया क्योंकि सरकार और लोगों ने इस संकट से निपटने के लिए आगे बढ़कर काम किया है।
उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा, महामारी का खात्मा होने तक हमें राहत कार्य जारी रखना चाहिए और कोविड-19 संकट से प्रभावित सभी लोगों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने देश में स्थिति का फायदा उठाने संबंधी निहित स्वार्थों को लेकर आगाह किया। लोगों को जागरूक करने के साथ ही संघ कार्यकर्ता कोविड-19 के मद्देनजर सभी नियमों और सावधानियों का पालन कर रहे हैं।
मोहन भगवत ने कहा, जब लोग कुछ नियमों और दिशानिर्देशों से बंधे हुए थे, तो उन्हें लगा कि उन्हें चीजों को करने से प्रतिबंधित किया जा रहा है। RSS ने मार्च में ही निर्णय लिया और जून अंत तक अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया। लेकिन कुछ लोगों को लग सकता है कि सरकार हमारे कार्यक्रमों को प्रतिबंधित कर रही है।
उन्होंने कहा, ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो दूसरों को उकसाते हैं। यह क्रोध को जन्म देता है। क्रोध जन्म को नासमझी देता है। यह चरमपंथी कृत्यों को जन्म देता है। हम जानते हैं कि ऐसी ताकतों हैं जो इससे लाभान्वित होती हैं और वे प्रयास कर रही हैं।