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ज्ञानवापी पर RSS प्रमुख के भाषण को नहीं करना चाहिए नजरअंदाज, एजेंडे में तो राम मंदिर भी नहीं था : ओवैसी

आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) प्रमुख मोहन भागवत के ज्ञानवापी और शिवलिंग वाले बयान पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उन पर निशाना साधा है।

आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) प्रमुख मोहन भागवत के ज्ञानवापी और शिवलिंग वाले बयान पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उन पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, ज्ञानवापी पर भागवत के भाषण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बाबरी मस्जिद के लिए आंदोलन को याद करें जो ऐतिहासिक कारणों से आवश्यक था। ओवैसी ने कहा, विहिप के गठन से पहले तो अयोध्या भी संघ के एजेंडे में नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि, उस समय आरएसएस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान नहीं किया, इसमें भाग लिया और कोर्ट के फैसले से पहले मस्जिद को तोड़ दिया।
क्या मतलब है कि, यह ज्ञानवापी मामले में भी कुछ ऐसा ही करेंगे : ओवैसी
एआईएमआईएम प्रमुख ने पूछा, इसका क्या मतलब है कि, यह ज्ञानवापी मामले में भी कुछ ऐसा ही करेंगे। उन्होंने कहा, आरएसएस ने अपना राजनीतिक दोहरापन सिद्ध किया है। उन्होंने कहा, संघ की यह पुरानी रणनीति रही है कि, जब चीजें लोकप्रिय हो जाती है तो यह बाद में उनकी मालिक बन जाती है। ओवैसी ने कहा, बाबरी मस्जिद आंदोलन के दौरान भी कुछ लोगों ने कहा कि वे शीर्ष अदालत के आदेशों का पालन करेंगे, लेकिन अन्य ने कहा कि, यह आस्था का मामला है और इस मामले में अदालत फैसला नहीं कर सकती।

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जे पी नड्डा पर भी साधा निशाना
इसके अलावा ओवैसी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा पर आरएसएस प्रमुख के देश में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के आश्वासन वाले बयान पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, आश्वासन देने के लिए नड्डा और मोहन कौन होते हैं? उनके पास कोई संवैधानिक पद नहीं है। उन्होंने कहा, पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय को स्पष्ट संदेश देना चाहिए। उन्होंने संविधान की शपथ ली है। यदि वह इसके साथ खड़े होते हैं, तो इस हिंदुत्व को रोकना चाहिए।  

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