यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग को एक महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी किसी तरह का कोई परिणाम सामने नहीं आया है। लेकिन दोनों ही देश न झुकने को तैयार नही है और न ही दोनों के बीज सीजफायर जैसी स्थिति बन रही है। इस बीच अमेरिका और पश्चिमी देशों की तरफ से लगातार धमकी मिलने के बाद अब रूस ने एक बहुत बड़ा कदम उठा लिया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उत्तरी अटलांटिक महासागर में अपनी परमाणु पनडुब्बियों को तैनात कर दिया है।
US अधिकारियों ने किया दावा, रूस की सेना ने यूरोपीय सैटेलाइट को किया हैक, यूक्रेन के सैन्य संचार प्रभावित
बता दें कि रूस के इस कदम से दुनियाभर में परमाणु युद्ध का खौफनाक संकट मंडराने लगा है। यूरोप के ज्यादातर देश उत्तर अटलांटिक महासागर के करीब मौजूद है और रूस के परमाणु पनडुब्बी की तैनाती से न्यूक्लियर वॉर की आशंका बढ़ गई है।देश उत्तर अटलांटिक महासागर के करीब मौजूद है रूस की परमाणु पनडुब्बी
आपको बता दें कि रूस की तरफ से जिस परमाणु पनडुब्बी को तैनात किया है वह एक साथ 16 बैलिस्टिक मिसाइल ले जाने में सक्षम है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि क्रेमलिन युद्ध के विषम हालात में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किसी भी हद तक जाता दिखाई दे रहा है। इससे पहले नाटो देशों ने भी चिंता जताई थी कि रूस जीत पाने के लिए किसी भी सीमा को तोड़ सकता है।
न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल करेगा रूस?
रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस ने 3 मार्च से अपने न्यूक्लियर हथियारों को हाई अलर्ट पर रखा है। मॉस्को ने 22 मार्च को नाटो को धमकी देते हुए कहा था कि अगर नाटो ने सीमा लांघी तो क्रेमलिन न्यूक्लियर हमले से नहीं चूकेगा। क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा था कि अगर रूस के सामने ‘अस्तित्व का खतरा’ खड़ा होता है तो वह न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल करेगा।
मीड़िया रिपोर्ट बताती है कि ये न्यूक्लियर पनडुब्बियां जल्द ही रूस की ओर लौट आए हैं और उसके बाद से गतिविधियां सामान्य हैं। लेकिन रूस के इस कदम के बाद से पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियां क्रेमलिन के न्यूक्लियर हथियारों के जखीरे पर कड़ी नजर रख रही हैं।
डोनबास का लिबरेशन चाहता है रूस
रूस के जनरल स्टाफ के पहले उप प्रमुख कर्नल जनरल सर्गेई रुडस्कॉय ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि सामान्य तौर पर ऑपरेशन के पहले चरण के सभी मुख्य कार्य पूरे हो चुके हैं। ऐसे में अब हम मुख्य लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिशों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। और यह मुख्य लक्ष्य डोनबास का लिबरेशन है। उन्होंने कहा है कि जब तक रूसी सेना डोनबास और लुहंस्क को लिबरेट नहीं करती, हम पीछे नहीं हटने वाले।