राष्ट्र संत का दर्जा प्राप्त भय्यू महाराज ने मध्य प्रदेश के इंदौर में खुद को गोली मार ली है। सूत्रों के मुतबिक, उनकी मौत हो गई है। उन्हें गंभीर हालत में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।घटना के कारण का पता नहीं चल सका है। अभी पता नहीं चल सका है कि भय्यूजी ने यह कदम किन परिस्थितियों में उठाया। अस्पताल में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है।
जानकारी के मुताबिक भय्यूजी महाराज के कमरे से अंग्रेजी में लिखा एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है। इसमें लिखा है कि जिंदगी के तनाव से परेशान हो गया हूं। मेरी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है।
बता दें कि जिस वक्त भय्यू जी महाराज ने खुद को गोली मारी उनकी मां और पत्नी घर में ही मौजूद थीं। एक सहयोगी की मदद से दरवाजा तोड़ कर बाहर निकाला गया। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। इंदौर के आईजी मकरंद देउस्कर ने कहा कि सुसाइड नोट और पिस्टल जब्त कर ली गई है, सभी पहलुओं की जांच हो रही है। घर के सदस्यों से भी पूछताछ की जाएगी। लाइसेंसी हथियार से ही सुसाइड किया।
बता दें कि भय्यूजी राजनीति में गहरी पैठ रखते थे। हाल ही में शिवराज सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया था । हालांकि उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने कहा था कि संतों के लिए पद का महत्व नहीं होता। उन्होंने कहा था कि हमारे लिए लोगों की सेवा का महत्व है।
भय्यूजी महाराज को राजनीतिक रूप से ताकतवर संतों में गिना जाता था। उनका असली नाम उदयसिंह देशमुख है और उनके पिता महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं। उनका नाम तब चर्चा में आया था, जब भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान भूख हड़ताल पर बैठे अन्ना हजारे को मनाने के लिए यूपीए सरकार ने उनसे संपर्क किया था।
जानिए ! कौन थे भय्यू जी महाराज : –
1968 को जन्मे भय्यू महाराज का असली नाम उदय सिंह देखमुख है। वह कपड़ों के एक ब्रांड के लिए कभी मॉडलिंग भी कर चुके हैं। भय्यू महाराज का देश के दिग्गज राजनेताओं से संपर्क थे। हालांकि वह शुजालपुर के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे।
भय्यू जी महाराज तब चर्चा में आए थे जब 2011 में अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करवाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें अपना दूत बनाकर भेजा था। इसी के बाद ही अन्ना ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था।
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