शिवसेना किसानों द्वारा ‘भारत बंद’ को समर्थन दे रहे हैं। शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि किसानों द्वारा किया गया ‘भारत बंद’ का आह्वान गैर राजनीतिक है और देश के लोगों को कृषकों के प्रति समर्थन प्रकट करने के लिए स्वेच्छा से उसमें भाग लेना चाहिए।
संजय राउत ने कहा कि यह कोई राजनीतिक बंद नहीं है। यह हमारी भावना है। दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसान संगठन कोई राजनीतिक झंडा नहीं ले जा रहे हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम किसानों के साथ एकता में खड़े हों और उनकी भावनाओं से जुड़े रहें। यहां कोई राजनीति नहीं है और न ही होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि दिमाग की बात छोड़ दीजिए, अगर सरकार के पास दिल है तो प्रधानमंत्री या गृह मंत्री खुद जाकर उनसे(किसानों) बात करेंगे और उनको समझाएंगे। राउत ने कहा, ‘‘ लोगों को बंद में स्वेच्छा से भाग लेना चाहिए। इससे किसानों के प्रति सच्चा समर्थन प्रदर्शित होगा। यह राजनीतिक बंद नहीं है। वैसे कई दलों ने इसमें हिस्सा लेने का निर्णय लिया है।’’
बता दें कि मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन मंगलवार को 13वें दिन जारी है। किसान संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है। हालांकि संगठनों के नेताओं ने लोगों से देशव्यापी बंद के दौरान शांति बनाए रखने की अपील की है। दिन में 11 बजे से लेकर तीन बजे तक चक्का जाम रखने का एलान किया गया है।
किसान नेताओं ने हालांकि इस बात की हिदायत दी है कि रोड जाम के दौरान एंबुलेंस और इमरजेंसी सर्विसेज को बाधित नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों का विरोध संसद से शुरू हुआ और अब सड़कों पर है। विपक्ष में शामिल तकरीबन तमाम राजनीतिक दलों ने किसानों के भारत बंद करने का समर्थन किया है। इसके अलावा, अनेक ट्रेड यूनियन समेत सब्जी, फल व अन्य रोजमर्रा की जरूरतों की वस्तुओं और सेवाओं से जुड़े कई संगठनों ने किसानों द्वारा किए गए देशव्यापी बंद का समर्थन देने का ऐलान किया है।
केंद्र सरकार ने बीते सितंबर महीने में कृषि से जुड़े तीन कानून लागू किए जिनमें कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार के मकसद से लागू किए गए तीन नये कानूनों में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 शामिल हैं। तीनों विधेयकों के संसद में पेश होने से लेकर पारित होने तक दोनों सदनों में इनका विपक्षी दलों के सांसदों ने पुरजोर विरोध किया।