इलेक्टोरल बॉन्ड: SBI को 3 हफ्तों में देनी होगी रिपोर्ट, इलेक्टोरल बॉन्ड पर SC का बड़ा फैसला

इलेक्टोरल बॉन्ड:  SBI को 3 हफ्तों में देनी होगी रिपोर्ट, इलेक्टोरल बॉन्ड पर SC का बड़ा फैसला
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Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर अहम फैसला सुनाया है। दरअसल, अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया है। शीर्ष अदालत ने चुनाव बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई चंद्रचुड़ के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने इस संबंध में गुरुवार को फैसला सुनाया है।

Highlights:

  • सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर लगाई रोक
  • SBI को 3 हफ्तों में देनी होगी रिपोर्ट
  • चुनावी बांड योजना में 4 अधिनियमों में किया गया था संशोधन

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को 2019 से अब तक चुनावी बॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी विस्तार रूप से देनी होगी। अदालत की इस फैसने में कहा गया है कि चुनावी बांड योजना, आयकर अधिनियम की धारा 139 द्वारा संशोधित धारा 29(1)(सी) और वित्त अधिनियम 2017 द्वारा संशोधित धारा 13(बी) का प्रावधान अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है। इस शीर्ष अदालत ने आदेश दिया है कि चुनावी बांड करने वाला बैंक यानी भारतीय स्टेट बैंक को चुनावी बांड प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का विवरण देना बहुत ही जरूरी है। इसके लिए आदलत ने 6 मार्च तक का समय दिया है।

इलेक्टोरल बांड क्या होता है ?

बता दें कि चुनावी बांड ब्याज मुक्त धारक बांड या मनी इंस्ट्रूमेंट था जिन्हें भारत में कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अधिकृत शाखाओं में खरीदा जा सकता था। इसके साथ ही ये बांड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये के साथ ही 1 लाख रुपये, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के गुणाओं में बेचे जाते थे। दरअसल, राजनीतिक दल को दान देने के लिए केवाईसी अनुपालक खाते के माध्यम से खरीदा जा सकता था। इसके साथ ही राजनीतिक दलों को एक निर्धारित समय के भीतर चुकाना होता था। इस प्रकार चुनावी बांड को गुमनाम कहा जाता है।

चुनावी बांड योजना में 4 अधिनियमों में किया गया था संशोधन

दरअसल, भारत सरकार ने 2016 और 2017 के वित्त अधिनियम के माध्यम से चुनावी बांड योजना शुरू करने के लिए 4 अधिनियमों में संशोधन किया था। बता दें कि ये संशोधन अधिनियम लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, कंपनी अधिनियम 2013, विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम 2010, आयकर अधिनियम 1961 और 2016 और 2017 के वित्त अधिनियमों के माध्यम से थे। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने 2017 में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को वित्त विधेयक के रूप में सदन में पेश किया था। वहीं, संसद से पास होने के बाद 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की अधिसूचना भी जारी की गई थी।

 

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