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लखीमपुर मामले में SC ने UP सरकार से मांगी स्टेटस रिपोर्ट, पूछा- जवाब दें अब तक क्या कार्यवाही हुई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई ‘स्वतः संज्ञान’ के तहत नहीं, बल्कि ‘जनहित याचिका’ के तौर पर की जायेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई ‘स्वतः संज्ञान’ के तहत नहीं, बल्कि ‘जनहित याचिका’ के तौर पर की जायेगी। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई शुरू करते ही कहा कि रजिस्ट्री कार्यालय के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान की खामियों की वजह से लखीमपुर खीरी हिंसा मामला ‘स्वतः संज्ञान’ मामले के तौर पर आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो गया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा वह स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगी
उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि लखीमपुर खीरी घटना में कौन आरोपी हैं, जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है? उन्होंने कहा कि घटना के संबंध में जिन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, उन्हें गिरफ्तार किया गया है? उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा वह स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगी। उच्चतम न्यायालय ने मामले को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध किया।
इस मामले की सुनवाई जनहित याचिका के तौर पर ही की जाएगी
उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई जनहित याचिका के तौर पर ही की जाएगी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हिंसा के मामले में दो वकीलों के पत्रों के माध्यम से शीर्ष अदालत को सूचना मिली थी। इस वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी। उन्होंने इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि लखीमपुर खीरी कांड की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच के लिए पत्र लिखने वाले दो वकीलों को सुनना चाहेगा। यह घटना किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत से जुड़ी है।
कुछ “गलतफहमी” की वजह से इसे स्वत: संज्ञान के मामले के तौर पर सूचीबद्ध कर दिया गया
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि पत्र को जनहित याचिका (पीआईएल) के तौर पर पंजीकृत किया जाना था और कुछ “गलतफहमी” की वजह से इसे स्वत: संज्ञान के मामले के तौर पर सूचीबद्ध कर दिया गया।
कोई फर्क नहीं पड़ता, हम तब भी इसपर सुनवाई करेंगे
पीठ ने कहा, “कोई फर्क नहीं पड़ता, हम तब भी इसपर सुनवाई करेंगे।” पीठ ने अदालत के अधिकारियों से कहा कि वे दो वकीलों – शिव कुमार त्रिपाठी और सी एस पांडा को पेश होने के लिए सूचित करें और मामले में बाद में सुनवाई तय की।प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “यह पत्र दो वकीलों द्वारा लिखा गया था। हमने रजिस्ट्री को इसे पीआईएल के तौर पर पंजीकृत करने को कहा था लेकिन किसी गलतफहमी की वजह से यह स्वत: संज्ञान वाले मामले के रूप में पंजीकृत हो गया….पत्र लिखने वाले दोनों वकीलों को मौजूद रहने के लिए सूचित करें।”
लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा मामले में SC ने स्वत: संज्ञान लिया
गौरतलब है कि बुधवार को उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर जानकारी दी गयी थी कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा मामले में शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया है। इस मामले की गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई की जाएगी।

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