देश की शीर्ष अदालत, उच्चतम न्यायालय ने आज यानी मंगलवार को धर्म संसद को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की जबरदस्त तरीके से फटकार लगाई। न्यायालय ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह अदालत में सार्वजनिक रूप से यह कहें कि रुड़की में निर्धारित ‘धर्म संसद’ में कोई अप्रिय बयान नहीं दिया जाएगा। कार्यक्रम बुधवार को होना है। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश से भी सवाल पूछा।
इन सरकारों से पूछे तल्ख सवाल
एक अलग सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में एक कार्यक्रम पर हिमाचल प्रदेश सरकार से भी तीखे सवाल किए। इस कथित धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिए गए थे और हिंदुओं को हिंसा का सहारा लेने का आह्वान किया गया था। शीर्ष अदालत ने हिमाचल की भाजपा सरकार से पूछा कि उसने आग लगाने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की। अदालत ने कहा, “सरकार को इस तरह की गतिविधि को रोकना होगा। राज्य सरकार को हमें बताना होगा कि क्या कोई निवारक उपाय किए गए थे या नहीं।”
ये घटनाएं अचानक नहीं होती हैं-अदालत
अदालत ने 9 मई को फिर से सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करते हुए कहा, “सरकार को 7 मई तक एक हलफनामा दाखिल करना होगा और हमें बताना होगा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए।” न्यायाधीशों ने कहा, “ये घटनाएं अचानक नहीं होती हैं। वे रातोंरात नहीं होती हैं। ये पहले से घोषित की जाती हैं। आपने तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की? सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश पहले से ही मौजूद हैं।”
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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह अदालत में सार्वजनिक रूप से यह कहें कि रुड़की में निर्धारित ‘धर्म संसद’ में कोई अप्रिय बयान नहीं दिया जाएगा। यह कार्यक्रम बुधवार को होना है।