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SC का केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश, 15 दिन में पूरी हो सभी प्रवासियों की घर वापसी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि लॉकडाउन की वजह से पलायन कर रहे कामगारों को उनके पैतृक स्थानों तक पहुंचाने के लिये केन्द्र और राज्यों को 15 दिन का समय देने पर विचार कर रहा है।

देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रकोप लगातार बरकरार है। वायरस के फैलाव को रोकने के लिए 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लागू है। इस बीच केन्द्र के तरफ से लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के घर पहुंचने का काम भी लगातार जारी है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि लॉकडाउन की वजह से पलायन कर रहे कामगारों को उनके  घर पहुंचाने के लिये केन्द्र और राज्यों को 15 दिन का समय देंगे।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इन प्रवासी कामगारों की दयनीय स्थिति का स्वत: संज्ञान लिये गये मामले की वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये सुनवाई के दौरान अपनी मंशा जाहिर की।इस बीच, केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि इन प्रवासी श्रमिकों को उनके पैतृक स्थान तक पहुंचाने के लिये तीन जून तक 4,200 से अधिक ‘विशेष श्रमिक ट्रेन’ चलाई गयीं हैं।

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मेहता ने कहा कि अभी तक एक करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है और अधिकांश ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार में खत्म हुयी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें बता सकती है कि अभी और कितने प्रवासी कामगारों को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है ओर इसके लिये कितनी रेलगाड़ियों की जरूरत होगी।
इस मामले में अभी सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को निर्देश दिया था कि अपने पैतृक स्थान जाने के इच्छुक सभी प्रवासी कामगारों से ट्रेन या बसों का किराया नहीं लिया जाये। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि रास्ते में फंसे श्रमिकों को संबंधित प्राधिकारी नि:शुल्क भोजन और पानी मुहैया करायेंगे।

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