सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रवासी मजदूरों के पलायन पर सुनवाई करते हुए केंद्र को कमेटी बनाने का निर्देश दिया है। वहीं केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता तुषार मेहता ने कोर्ट को प्रवासी मजदूरों के लिए की गई व्यवस्थाओं से अवगत कराया। प्रवासी मजदूरों को लेकर वकील एए श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि 24 घंटे के अंदर सरकार राजनीतिक और धार्मिक लोगों की कमेटी बनाए, जो हर शेल्टर होम में जाएंगे और मजदूरों से बात करेंगे। इसके अलावा हर शेल्टर होम में प्रशिक्षित काउंसर भेजे जाएं। तुषार मेहता ने कहा कि जिनमें भी कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए हैं उनको क्वरंटाइन में भेज दिया गया है और जिनमें कोई लक्षण नही हैं उनको 14 दिन के लिए आइसोलेशन में रखा गया है।
इसके साथ ही एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम चलाया गया ताकि 14 दिनों के लिए किसी भी यात्री की देखरेख की जा सके। उसमें यह देखा जाता है कि क्या लक्षण विकसित हुए हैं। यह तरीका अभी तक बहुत ही प्रभावी रहा है। केंद्र ने बताया कि 28 दिनों की सीमा के भीतर 3 लाख 48 हजार मामले निगरानी में थे।
जनप्रतिनिधियों और सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती करेगी महाराष्ट्र सरकार : अजित पवार
इस पर सीजेआई एसए बोबडे ने पूछा कि क्या आपने उन लोगों को ट्रैक किया जिनके पास लक्षण नहीं थे या आपने उन्हें जाने नहीं दिया? इस पर केंद्र सरकार के वकील ने जवाब दिया कि हमने उन्हें हेल्पलाइन नंबर दिया और उनसे पूछा कि क्या कोई लक्षण विकसित हुए हैं।
इसके साथ उन्होंने कोर्ट को बताया कि 22 लाख 88 हजार से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। ये जरूरतमंद व्यक्ति, प्रवासी और दिहाड़ी मजदूर हैं। उन्हें आश्रयों में रखा गया है। उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन की वजह से पैनिक का हल निकालने के लिए परामर्श प्रदान करने पर विचार कर रहे हैं।