सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पराली जलाने पर रोक संबंधी कदमों की निगरानी के लिहाज से शीर्ष न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर का एक सदस्यीय पैनल गठित किया। न्यायालय ने हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को उन खेतों की निगरानी में लोकुर समिति की मदद करने का निर्देश दिया जिनमें पराली जलाई जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने में पैनल की मदद की खातिर एनसीसी, राष्ट्रीय सेवा योजना और भारत स्काउट्स की तैनाती की जाए। लोकुर समिति पराली जलाए जाने की घटनाओं संबंधी अपनी रिपोर्ट हर पखवाड़े शीर्ष अदालत को सौंपेगी।
वहीं सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) लोकुर की अगुवाई में एक सदस्यीय समिति बनाने का विरोध किया। बता दें कि हवा की बदलती दिशा, पंजाब, हरियाणा और पड़ोसी राज्य में पराली जलाने की वजह से शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में 26 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं गुरुवार को प्रदूषित हवा में पराली जलाने का योगदान 6 प्रतिशत था।
इससे पहले सप्ताह में, हवा की दिशा पराली जलाने वाले मैदानों से प्रदूषण फैलाने वाले कणों को राष्ट्रीय राजधानी ला पाने में सक्षम नहीं थी। इसलिए पराली जलाने से वायु प्रदूषण में होने वाले योगदान में अंतर पाया गया। बुधवार को वायु में पराली जलाने से प्रदूषण जहां एक प्रतिशत तो इससे पहले प्रत्येक दिन तीन प्रतिशत था।
केंद्र सरकार की एजेंसी, सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च ने गुरुवार को कहा कि गुरुवार को 583 क्राप फायर्स रिकॉर्ड किया गया। वायु प्रदूषण फैलाने वाली हवा की दिशा इस ओर है और आज के लिए हवा में मौजूदा पीएम2.5 में पराली का योगदान 26 प्रतिशत है। वहीं अच्छी बात यह है कि राष्ट्रीय राजधानी में सतही हवा की गति में थोड़ा सा सुधार हुआ है, जिससे वेंटिलेशन और एक्यूआई में सुधार हुआ है। दोपहर 1 बजे दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 235 पर था, जो कि खराब की श्रेणी में आता है। जबकि शुक्रवार को यह अति खराब की श्रेणी में था।