सुप्रीम कोर्ट ने मादक पदार्थ से जुड़े एक मामले में आरोपी को यह कहते हुए जमानत दे दी कि कोविड-19 महामारी का असामान्य समय है। न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति अनिरूध बोस और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यों की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जेलों में से भीड़ को कम करने के लिए व्यक्तियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है जो सात साल तक की सजा के मामलों पर लागू होता है।
उन्होंने कहा, हमने असामान्य समय का सामना किया है जहां कोविड की चुनौती ज्यादा है। न्यायालय ने कहा, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, हम निचली अदालत की संतुष्टि के लिए शर्तों पर अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करना उचित मानते हैं। याचिकाकर्ता शेरू की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी थी की आरोपी करीब आठ साल से हिरासत में है और मामले को प्राथमिकता देने के इस अदालत के निर्देशों के बावजूद यह मामला अबतक सुनवाई के चरण में नहीं पहुंचा है।
वहीं दूसरी तरफ नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के कड़े प्रावधानों को देखते हुए अपील निलंबित होने के दौरान ही अधिकांश अवधि गुजार लेने का सामान्य सिद्धांत सजा निलंबित करने ओर जमानत देने का आधार नहीं हो सकता। एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 आरोपी को जमानत देने की शर्तें उपलब्ध कराती है।