सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नोटा के संबंध में सुनवाई करते हुए केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस याचिका में चुनाव को रद्द करने और फिर से एक नया चुनाव कराने के लिए आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है। नोटा का मतलब है ‘नान ऑफ द एवब’ यानी इनमें से कोई नहीं है। और इसका साफतौर पर अर्थ यह कि वोट करने वाले को किसी भी पार्टी का उम्मीदवार पसंद नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कानून और न्याय मंत्रालय के साथ साथ भारत के चुनाव आयोग को याचिका पर जवाब दायर करने के लिए नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित हुईं आपको बता दें कि दायर की गई इस याचिका में पार्टियों के उन उम्मीदवारों को भी प्रतिबंधित करने का फैसला किया गया है जिन्हें जनता ने नापसंद किया हो ताकि वे दोबारा चुनावों में हिस्सा न ले सकें।
इसी के साथ याचिका में कहा गया है कि अस्वीकार करने का अधिकार और और नए उम्मीदवार के चुनाव से लोगों को अपना असंतोष व्यक्त करने की ताकत देगा। यदि वोटर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार की पृष्ठभूमि या प्रदर्शन संतुष्ट नहीं हैं, तो वे ऐसे उम्मीदवार को अस्वीकार करने और एक नया उम्मीदवार चुनने के लिए नोटा का इस्तेमाल करेगा।