कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिये भारत में लगाये गये प्रतिबंधों की वजह से रद्द हुयी उड़ानों के टिकटों का पूरा पैसा वापस कराने के लिये दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केन्द्र और नागरिक उड्डयन महानिदशालय को नोटिस जारी किये।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के जरिये मामले की सुनवाई करते हुये एयर पैसेंजर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की याचिका पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को नोटिस जारी किये।
इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि एयरलाइंस टिकटों का पैसा लौटाने में विफल रही है और वे गैरकानूनी तरीके से अनिच्छुक यात्रियों पर जबर्दस्ती ‘क्रेडिट शेल’ की व्यवस्था थोपने का प्रयास कर रही हैं। पीठ ने इस याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाये।’’ पीठ ने कहा कि इस मामले में पहले से ही लंबित अन्य याचिकाओं के साथ सुनवाई की जायेगी।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील इस याचिका की प्रति सालिसीटर जनरल तुषार मेहता को उपलब्ध करायें। याचिका में दावा किया गया है कि टिकट का पैसा लौटाने से इंकार करना ‘मनमानी’ है और यह नागरिक उड्डयन जरूरतों के खिलाफ है क्योंकि ‘ क्रेडिट शेल’ स्वीकार करना पूरी तरह से यात्रियों की इच्छा पर निर्भर करता है।
याचिका में टिकट की पूरी रकम नहीं लौटाने की एयरलाइंस की कार्रवाई को मनमानी घोषित करने का अनुरोध किया गया है। याचिका के अनुसार 16 अप्रैल को नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सभी विमान कंपनियों को निर्देश दिया था कि 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच पहले लॉकडाउन के दौरान टिकट बुक कराने वाले यात्रियों और बुकिंग रद्द कराने वाले यात्रियों को पूरा पैसा लौटाया जाये ।