उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र में पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के मामले में मराठा समुदाय के लिये 16 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से सोमवार को इंकार कर दिया। इससे पहले, बंबई उच्च न्यायालय ने इस मामले में एक याचिका खारिज कर दी थी।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की अवकाश पीठ ने कहा कि प्रवेश प्रक्रिया 17 जून को समाप्त हो गयी है और अब वह इस याचिका पर कोई आदेश नहीं दे सकती। पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘नहीं, हम कोई आदेश पारित नहीं करेंगे क्योंकि इससे अराजकता फैलेगी।’’ महाराष्ट्र विधान परिषद ने पीजी मेडिकल कालेजों में मराठा समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी विधेयक गत शुक्रवार को सर्वसम्मति से पारित किया था।
इससे पहले राज्य सरकार ने एक अध्यादेश के माध्यम से सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आरक्षण कानून 2018 में संशोधन करके मराठा समुदाय के लिये पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था। इस प्रावधान को चुनौती देने वाली एक याचिका बंबई उच्च न्यायालय ने 13 जून को खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद, समीर नाम के व्यक्ति ने उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।