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1984 सिख दंगा : उम्र कैद काट रहे सज्जन कुमार को SC ने जमानत देने से किया इंकार

सीबीआई की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता और कुछ दंगा पीडितों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने जमानत की अर्जी का विरोध किया।

1984 सिख विरोधी दंगा मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने फ़िलहाल जमानत देने से इंकार कर दिया है। जमानत याचिका पर कोर्ट जुलाई में विचार करेगा। सज्जन कुमार को स्वास्थ्य कारणों के चलते सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान सज्जन कुमार की मेडिकल रिपोर्ट का अवलोकन किया और कहा कि उन्हें फिलहाल हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। 
सज्जन कुमार को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुए पीठ ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व नेता के नियमित जमानत के लिये दायर आवेदन पर जुलाई में विचार किया जाएगा। सीबीआई की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता और कुछ दंगा पीडितों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने जमानत की अर्जी का विरोध किया।
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वहीं सज्जन कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल को जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि अगर जेल में सज्जन कुमार को कुछ हो गया तो उम्र कैद की सजा उनके लिए मृत्यु दंड हो जाएगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 दिसंबर 2018 को निचली कोर्ट का 2013 का फैसला पलटते हुए सज्जन कुमार को उम्र कैद की सजा सुनायी थी जबकि एक अन्य दोषी बलवान खोखर की उम्र कैद की सजा कोर्ट ने बरकरार रखी थी। 
सज्जन कुमार और पूर्व पार्षद बलवान खोखर दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पालम इलाके में स्थित राज नगर पार्ट-1 में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-2 में एक गुरूद्वारा जलाने की घटना से संबंधित मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। ये घटनायें एक-दो नवंबर, 1984 को हुईं थी जब 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़के थे। उच्च न्यायालय ने इस मामले में पांच अन्य दोषियों की सजा भी बरकरार रखी थी।

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