सुप्रीम कोर्ट ने वाट्सऐप की नई निजता पॉलिसी को चुनौती देने वाली कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। दरअसल, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानी सीएआईटी ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी आग्रह किया है कि वह केंद्र सरकार को यह निर्देश दे कि वह फेसबुक और वाट्सऐप जैसे तकनीकी कंपनियों को संचालित करने के लिए एक गाइडलाइन बनाए। इस साल की शुरुआत में यानी जनवरी में वाट्सऐप ने अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी पेश की।
इस प्राइवेसी पॉलिसी में बताया गया था कि वाट्सऐप कैसे यूजर्स के डेटा की प्रोसेसिंग करता है और उन्हें फेसबुक के साथ किस तरह से साझा करता है। नई पॉलिसी में कहा गया कि वाट्सऐप का उपयोग जारी रखने के लिए यूजर्स को 8 फरवरी 2021 तक नई नियम व पॉलिसी से सहमत होना होगा। हालांकि, प्राइवेसी पॉलिसी की आलोचना होने और किरकिरी होने के बाद वाट्सऐप ने ट्विटर पर यह स्पष्ट किया कि किसी का भी 8 फरवरी तक सहमत नहीं होने पर अकाउंट सस्पेंड या हटाया नहीं जाएगा। कंपनी ने कहा कि मई के बाद अपनी व्यावसायिक योजनाओं को वापस ले लेंगे।
जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने वाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर बुधवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से याचिका पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा वाट्सऐप को नोटिस जारी कर मार्च तक जवाब देने को कहा है। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक नई प्राइवेसी पॉलिसी, भारतीय डेटा संरक्षण और निजता कानूनों में खामियों का संकेत देती है। उन्होंने अदालत से यह सुनिश्चित करने के लिए अनुरोध किया है कि इस मैसेंजर ऐप का इस्तेमाल कर रहे लोगों को अपनी पर्सनल इनफॉर्मेशन उसकी मूल कंपनी फेसबुक या उसकी अन्य कंपनियों के साथ साझा नहीं करने का विकल्प मिले।