सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सेंट्रल विस्टा मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग की थी। जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।इस जुर्माना के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने चुनिंदा रूप से सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोकने का अनुरोध किया और राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन के दौरान जारी अन्य सार्वजनिक परियोजनाओं के बारे में बुनियादी शोध भी नहीं किया।
पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका के बारे में कहा था कि यह ‘‘दुर्भावना से प्रेरित’’ थी और इसमें ‘‘प्रामाणिकता का अभाव’’ था। यह भी एक नजरिया हो सकता है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर लगाए गए एक लाख रुपये के जुर्माने के मामले में भी हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। परियोजना के तहत एक नए संसद भवन और एक नए आवासीय परिसर के निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री और उप-राष्ट्रपति के आवास के साथ-साथ कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालयों के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण होना है।
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