उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सैकड़ों लोगों ने उच्चतम न्यायालय को ई-मेल संदेश भेजे हैं। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन न्यायमूर्ति ने शुक्रवार को सुनवाई शुरू होते ही कहा कि हिंसा के मामले में सैकड़ों ईमेल संदेश मिले हैं। तीन अक्टूबर को हुई इस घटना में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गये थे। इस मामले पर अब दशहरे की छुट्टियों के बाद सुनवाई होगी।
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए कदमों से संतुष्ट नहीं है SC
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए कदमों से संतुष्ट नहीं है । न्यायमूर्ति रमन, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की खंडपीठ मामले में वकील शिवकुमार त्रिपाठी और सी एस पांडा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
जिन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, उनकी क्यों नहीं हुई गिरफ़्तारी
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जिन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, उन्हें गिरफ्तार नहीं किए जाने को लेकर उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल किया। कोर्ट ने आरोपियों को गिरफ्तार ना करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि आप क्या संदेश दे रहे हैं । उन्होंने कहा कि 302 के मामले में पुलिस सामान्यतया क्या करती है? सीधा गिरफ्तार ही करते हैं ना, अभियुक्त जो भी हो कानून को अपना काम करना चाहिए।
UP सरकार करें सुनिश्चित, जब तक कोई अन्य एजेंसी केस संभालती है तब तक मामले के सबूत सुरक्षित रहें
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को अपने डीजीपी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जब तक कोई अन्य एजेंसी इसे संभालती है तब तक मामले के सबूत सुरक्षित रहें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला जब 302 का है तो गिरफ्तारी अबतक क्यों नहीं हुई।
क्या आप देश में हत्या के अन्य मामलों में भी आरोपियों के साथ ऐसा ही व्यवहार करते हैं
कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या आप देश में हत्या के अन्य मामलों में भी आरोपियों के साथ ऐसा ही व्यवहार करते हैं ? उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को उसका यह संदेश राज्य सरकार को देने को कहा कि लखीमपुर खीरी मामले में सबूत नष्ट ना हों ।
SC ने UP सरकार को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था
शीर्ष अदालत ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। अदालत ने इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दाखिल की गई जनहित याचिकाओं की जानकारी राज्य सरकार से मांगी थी।