उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन के एक मामले में गाजियाबाद में एक विशेष अदालत द्वारा जारी सम्मन को चुनौती देने वाली पत्रकार राणा अय्यूब की याचिका पर फैसला मंगलवार को सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर आदेश पारित करेगी। सुनवाई के दौरान अय्यूब की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, ‘‘क्या उनकी निजी स्वतंत्रता को उस प्रक्रिया के जरिए वंचित किया जा सकता है, जिसकी कानून अनुमति नहीं देता है?’’ उन्होंने कहा कि गाजियाबाद की विशेष अदालत को इस अपराध में मुकदमा चलाने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि यह कथित अपराध मुंबई में हुआ।
ग्रोवर ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नवी मुंबई में एक बैंक में पत्रकार के निजी बैंक खाते को जब्त कर लिया, जिसमें करीब एक करोड़ रुपये पड़े हैं। वहीं, ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एजेंसी ने गाजियाबाद की एक अदालत में शिकायत दर्ज करायी। गाजियाबाद समेत उत्तर प्रदेश में कई लोगों ने उनके क्राउडफंडिंग (इंटरनेट के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों से धन जुटाने) अभियान में योगदान दिया था। मेहता ने कहा कि अय्यूब ने झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों, कोविड-19 के मरीजों और असम के लोगों की मदद करने के नाम पर ऑनलाइन मंच ‘केटो’ के जरिए एक करोड़ रुपये रुपये जुटाए थे, जिसमें से 50 लाख रुपये सावधि जमा के रूप में एक निजी खाते में डाले गए। उन्होंने कहा, ‘‘फर्जी बिल, किराने के सामान से पैसा दिखाया गया और इसका इस्तेमाल निजी लग्जरी सामान खरीदने के लिए किया गया।’’
अय्यूब ने अपनी रिट याचिका में अधिकार क्षेत्र के बाहर कार्रवाई करने का हवाला देते हुए प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गाजियाबाद में शुरू की गई कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध किया है, क्योंकि धन शोधन का कथित अपराध मुंबई में हुआ था। गाजियाबाद की विशेष पीएमएलए अदालत ने पिछले साल 29 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर अभियोजन शिकायत का संज्ञान लिया था और अय्यूब को तलब किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल 12 अक्टूबर को अय्यूब के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें उन पर लोगों को धोखा देने और अपनी निजी संपत्ति बनाने के लिए 2.69 करोड़ रुपये के ‘चैरिटी फंड’ (परमार्थ निधि) का इस्तेमाल करने तथा विदेशी चंदा कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।