मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले का स्वागत करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए सही दिशा में उठाया गया कदम है।
संविधान पीठ ने बृहस्पतिवार को फैसला सुनाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा उस समिति की सलाह पर की जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे।
माकपा ने एक बयान में कहा, ‘‘यह निर्वाचन आयोग के स्वतंत्र प्राधिकार और कामकाज को मजबूत करने की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है।’’ वामपंथी दल का यह भी कहना है कि उसने हमेशा इस बात की पैरवी की है कि चुनाव आयोग में नियुक्ति सीबीआई निदेशक और लोकपाल की तर्ज पर होनी चाहिए।