1984 के सिख विरोधी दंगों में उम्र कैद की सजा भुगत रहे कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब मांगा। खोखर ने कोविड-19 महामारी की वजह से 8 हफ्तों की अंतरिम जमानत या पैरोल के लिए अर्जी दायर की थी।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने खोखर के वकील के इस कथन का संज्ञान लिया कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर अदालतों और सरकार द्वारा जेलों में भीड़ कम करने के संबंध में दिए गए सुझाव को देखते हुए उसे पैरोल दी जाए। पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को इस अर्जी पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
दंगा पीड़ितों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फूलका ने खोखर की जमानत अर्जी का विरोध किया। खोखर इस समय पंजाब में अपने पैतृक गांव में हैं। खोखर को इससे पहले अपने पिता का निधन होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने 15 जनवरी को चार सप्ताह की पैरोल पर रिहा किया था।
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खोखर और कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार इस समय सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। इन दोनों को दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 दिसंबर, 2018 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। खोखर ने अपनी अर्जी में कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अपने अधिकार का इस्तेमाल कर अपनी जिंदगी बचाने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट आया है।
इसमें कहा गया है कि आवेदक 65 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक है और छह साल से जेल में बंद है। आवेदन में कहा गया है कि वह डायबिटीज , ब्लड प्रेशर तथा जोड़ों के दर्द सहित कई बीमारियों से जूझ रहा है। आवेदन में यह भी कहा गया है कि मार्च महीने में जब कोविड-19 ने देश को अपनी चपेट में लेना शुरू किया तो दिल्ली सरकार और हाई कोर्ट ने बयान दिए थे कि इस माहामारी को फैलने से रोकने के लिए जेल नियमों में संशोधन कर दोषियों और विचाराधीन कैदियों को पैरोल का विकल्प प्रदान किए जाएंगे।
खोखर ने जेल के संशोधित नियम 1211 के तहत पैरोल का अनुरोध करते हुए कहा है कि वह कई बीमारियों से ग्रस्त है जिनकी वजह से उसे इस संक्रमण की चपेट में आने का खतरा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की 31 अक्ट्रबर, 1984 को उनके अंगरक्षकों द्वारा गोली मार कर हत्या किए जाने के बाद दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़के थे।
इन्हीं दंगों में से एक दक्षिण पश्चिम दिल्ली में पालम कालोनी के निकट राज नगर पार्टी-एक में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारा जलाए जाने की घटना के सिलसिले में हाई कोर्ट ने खोखर की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी थी।