सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समाज में प्रचलित बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा की संवैधानिक वैधता पर विचार के लिए सहमत होते हुए इस संबंध में दायर याचिकाओं पर आज केन्द्र और विधि आयोग से जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने इस दलील को स्वीकार किया कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 2017 के अपने फैसले में तीन तलाक को खत्म करते हुए बहुविवाह और निकाह हलाला के मामलों को इसके दायरे से बाहर रखा था।
पीठ ने आज कहा कि पांच सदस्यों वाली नई संविधान पीठ का गठन किया जाएगा जो बहुविवाह और निकाह हलाला के मामले पर गौर करेगी। बहुविवाह जहां मुस्लिम पुरूषों को एक समय में एक से ज्यादा महिलाओं से विवाह करने की अनुमति देता है।
वहीं निकाह हलाला ऐसी प्रथा है जिसमें पति द्वारा तलाक दिए जाने पर यदि दोनों फिर से निकाह करना चाहतें हैं तो तलाक देने वाले पति से दुबारा शादी करने से पहले मुस्लिम पत्नी को किसी अन्य व्यक्ति से विवाह करके उससे तलाक लेना होता है।
पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 3/2 के बहुमत से अपने फैसले में तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। शीर्ष अदालत इन प्रथाओं को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इनमें समता के अधिकार का हनन और लैंगिक न्याय सहित अनेक मुद्दे उठाये गये हैं।
देश और दुनिया का हाल जानने के लिए जुड़े रहे पंजाब केसरी के साथ।