कोरोना वायरस (कोविड-19) के मरीजों के लिए मुफ्त जांच सुविधा की मांग करने को लेकर दायर की गई याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकारऔर दूसरे प्राधिकारियों से जवाब मांगा है। वहीं इस याचिका को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता शशांक देव सुधि से वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कहा कि इसकी प्रति सालिसीटर जनरल तुषार मेहता को ई-मेल की जाए। मेहता केन्द्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
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सुधि ने देश में कोरोना वायरस के संक्रमण से जान गंवाने और इसकी चपेट में आने वालों की तेजी से बढ़ती संख्या के मद्देनजर कोविड-19 की जांच सुविधाओं को बढ़ाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। याचिका में इस संक्रमण से लोगों को बचाने के प्रयास में निजी लैब और अस्पतालों में इसकी जांच के लिए अधिकतम 4,500 रूपए मूल्य निर्धारित करने के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के 17 मार्च के परामर्श पर भी सवाल उठाए गये हैं।
याचिका में कहा गया है कि निजी अस्पतालों और लैब में इस जांच की 4,500 रूपए कीमत अनुचित है और इससे संविधान के अनुच्छेद 14 मे प्रदत्त समता के अधिकार का हनन होता है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी बहुत ही गंभीर है और इस महामारी पर काबू पाने के लिए जांच ही एकमात्र उपाय है।
याचिका में प्राधिकारियों पर आम जनता की परेशानियों के प्रति पूरी तरह संवेदनहीन होने का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि लॉकडाउन की वजह से लोग पहले ही आर्थिक बोझ के तले दबे हुए हैं।