ट्विटर पर नफरत फैलाने वाले, भड़काऊ और राष्ट्रविरोधी कंटेट पर नजर रखने की व्यवस्था बनाए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और ट्विटर को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। इसके साथ ही कोर्ट ने तय किया है कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर दायर दूसरे मामलों के साथ ही आगे इस मामले की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि ट्विटर पर इस तरह के मैसेज आने के बाद उनकी तरफ से क्या किया जा सकता है।
इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी के नेता विनीत गोयनका ने ये अर्जी दायर की थी। विनीत गोयनका ने कहा था कि ट्विटर पर भड़काऊ और देश विरोधी मैसेज पोस्ट किए जाते है। इतना ही नहीं, ट्विटर पर विज्ञापन भी दिया जाता है और इसके जरिए नफरत फैलाने वाले मैसेजों को फैलाया जाता है। बीजेपी नेता ने कहा था कि इस पर रोक के लिए फिलहाल कोई दिशा-निर्देश नहीं है। ऐसे में कोर्ट सरकार को इस संबंध में तुरंत दिशा-निर्देश बनाने का आदेश दे। जिस पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को उस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिय और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन से जवाब मांगा था, जिसमें मीडिया, चैनलों और नेटवर्क के खिलाफ शिकायतों पर सुनवाई के लिए मीडिया न्यायाधिकरण गठित करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, किसी बेलगाम घोड़े की तरह हो गया है, जिसे नियंत्रित किए जाने की जरूरत है।