सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब से नहलाकर चंदा बाबू के दो बेटों की हत्या करने के मामले में सीवान के डॉन और चार बार सांसद रह चुके मोहम्मद शहाबुद्दीन और उसके तीन सहयोगियों को हाई कोर्ट से मिली उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है। शहाबुद्दीन ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI रंजन गोगोई की बेंच ने शहाबुद्दीन के वकीलों से कहा कि इस दोहरे हत्याकांड के गवाह तीसरे भाई राजीव रोशन की कोर्ट में गवाही देने जाते समय हत्या क्यों की गई ? इस हमले के पीछे कौन था। सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले में दखल नहीं देगा। इस अपील में कुछ नहीं है।
चीफ जस्टिस गोगोई के साथ जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की पीठ इस जघन्य हत्याकांड पर सख्त दिखी। शहाबुद्दीन की तरफ से सीनियर वकीलों की टीम ने जैसे ही उसके बचाव में कुछ कहना चाहा। बेंच ने कहा, इन अपीलों में कुछ भी नहीं रखा है और हम हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। कोर्ट ने बिहार सरकार के वकील केशव मोहन से कुछ भी नहीं पूछा और मामले का निपटारा कर दिया। नौ दिसंबर, 2015 को स्पेशल कोर्ट ने शहाबुद्दीन को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। पिछले साल 30 अगस्त को पटना हाई कोर्ट ने भी उस फैसले को बरकरार रखा।
दरअसल अगस्त में 2004 में सिवान में सतीश और गिरीश रोशन की एसिड अटैक कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 9 दिसंबर 2015 को निचली अदालत ने शहाबुद्दीन व अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 2017 में पटना हाईकोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा। आपको बता दें कि 6 जून 2014 को इस मामले के चश्मदीद गवाह राजीव रोशन की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई. राजीव रोशन पीड़ितों के भाई थे।