सुप्रीम कोर्ट ने उद्योगपति मुकेश अंबानी और मुंबई में उनके परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराए जाने को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर त्रिपुरा हाई कोर्ट के फैसले पर बुधवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने केंद्र की याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें हाई कोर्ट के 31 मई और 21 जून के दो आदेशों को चुनौती दी गई थी।
जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में आगे की कार्यवाही पर भी रोक लगाई जाए : सॉलिसिटर जनरल
पीठ ने अपने आदेश में कहा, नोटिस जारी किया जाए जिसका जवाब 21 जुलाई तक देना है। इस बीच, 31 मई और 21 जून के आदेश को लागू करने पर रोक लगाई जाती है। केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि, जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में आगे की कार्यवाही पर भी रोक लगाई जाए क्योंकि मुंबई में किसी को सुरक्षा देने का त्रिपुरा से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा कि, अगर कार्यवाही को रोका नहीं गया तो उन्हें फिर से अदालत का रुख करना पड़ेगा।
जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में आगे की कार्यवाही पर भी रोक लगाई जाए : सॉलिसिटर जनरल
पीठ ने अपने आदेश में कहा, नोटिस जारी किया जाए जिसका जवाब 21 जुलाई तक देना है। इस बीच, 31 मई और 21 जून के आदेश को लागू करने पर रोक लगाई जाती है। केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि, जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में आगे की कार्यवाही पर भी रोक लगाई जाए क्योंकि मुंबई में किसी को सुरक्षा देने का त्रिपुरा से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा कि, अगर कार्यवाही को रोका नहीं गया तो उन्हें फिर से अदालत का रुख करना पड़ेगा।

पीठ ने सॉलिसिटर जनरल की बात का दिया जवाब
सॉलिसिटर जनरल की बात अपर पीठ ने कहा, जब हमने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है तो आपको लगता है कि आपको यहां आने की जरूरत होगी? अगर जरूरत पड़ेगी तो हम यहां उपलब्ध हैं। त्रिपुरा हाई कोर्ट ने विकास सिन्हा की ओर से दायर जनहित याचिका पर दो अंतरिम आदेश जारी किए थे और केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि, अंबानी को खतरे के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा बनाई गई मूल फाइल सौंपी जाए जिसके आधार पर अंबानी और उनके परिवार को सुरक्षा दी गई थी।
सॉलिसिटर जनरल की बात अपर पीठ ने कहा, जब हमने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है तो आपको लगता है कि आपको यहां आने की जरूरत होगी? अगर जरूरत पड़ेगी तो हम यहां उपलब्ध हैं। त्रिपुरा हाई कोर्ट ने विकास सिन्हा की ओर से दायर जनहित याचिका पर दो अंतरिम आदेश जारी किए थे और केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि, अंबानी को खतरे के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा बनाई गई मूल फाइल सौंपी जाए जिसके आधार पर अंबानी और उनके परिवार को सुरक्षा दी गई थी।
