आने वाले साल में छोटे शहरों के लोग भी भरेंगे ऊंची ‘उड़ान’। सम्पूर्ण देश के शहरों को जोड़ने वाली इस योजना को हरी झंडी मिल गई है। केंद्र सरकार के इस महत्वाकांक्षी क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत 453 मार्गों को फ़िलहाल हरी झंडी मिल गई है। केंद्र सरकार द्वारा ये क़दम बढ़ती हवाई यात्रा की मांग को देखते हुए उठाया जा रहा है। फ़िलहाल 70 हवाई अड्डों का परिचालन शुरू हो चुका है।
हवाई यात्रा को किफायती बनाने के लिए ‘उड़ान’ लॉन्च किया गया
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अक्टूबर 2016 में क्षेत्रीय हवाई संपर्क को प्रोत्साहित करने और जनता के लिए हवाई यात्रा को किफायती बनाने के लिए ‘उड़ान’ लॉन्च किया था। ‘उड़ान’ में मौजूदा हवाई पट्टियों और हवाई अड्डों के पुनरुद्धार के माध्यम से देश के अप्रयुक्त और कम उपयोग किए जाने वाले हवाई अड्डों को कनेक्टिविटी प्रदान करने की परिकल्पना की गई है इसके कार्यान्वयन के बाद से यह योजना टियर-2 और टियर-3 शहरों को किफायती किराए पर हवाई संपर्क प्रदान करने में सक्षम रही है और इसने लोगों के यात्रा करने के तरीके को बदल दिया है। उड़ान एक मांग संचालित योजना है, इसमें एयरलाइन ऑपरेटर समय-समय पर योजना के तहत किसी विशेष मार्ग पर परिचालन की व्यवहार्यता का आकलन करते हैं और बोली लगाते हैं।
अब तक 2.15 लाख से अधिक उड़ान उड़ानें संचालित
अधिकारियों ने बताया कि उड़ान के तहत चार दौर की बोली के बाद 455 रूट शुरू हो गए हैं। इसमें 70 हवाईअड्डे चालू हो गए हैं। इनमें दो वाटर एयरोड्रम और नौ हेलीपोर्ट शामिल हैं।
अब तक 2.15 लाख से अधिक उड़ान उड़ानें संचालित हो चुकी हैं और 1.1 करोड़ से अधिक यात्रियों ने इसका लाभ उठाया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह योजना अधिसूचना की तारीख से 10 साल की अवधि के लिए लागू है। केंद्र ने योजना की अवधि के दौरान 1,000 उड़ान मार्गों को चालू करने और 2024 तक 100 अप्रयुक्त और कम सेवा वाले हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट, जल हवाई अड्डों को पुनर्जीवित और विकसित करने का लक्ष्य रखा है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) उड़ान के तहत पुरस्कृत हवाईअड्डों के पुनरुद्धार और विकास की प्रगति की निगरानी करता है और समय-समय पर हितधारकों के परामर्श से मंत्रालय द्वारा इसकी समीक्षा की जाती है।
दूर-दराज के इलाकों के लोग अपने गंतव्यों के लिए उड़ान भरने में सक्षम होंगे
अधिकारी ने कहा कि योजना के लागू होने के बाद देश के दूर-दराज के इलाकों के लोग अपने गंतव्यों के लिए उड़ान भरने में सक्षम हो गए हैं। असम में रूपसी, जोरहाट और लीलाबारी जैसी जगहों, मेघालय राज्य की राजधानी शिलांग, अरुणाचल प्रदेश में तेजू और सुदूर व दुर्गम क्षेत्रों को जोड़ने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में उड़ान के तहत इन हवाई अड्डों के संचालन के बाद सिक्किम में पाक्योंग देश के हवाई-मानचित्र में आ गया है।
इसी तरह, एनईआर (पूर्वोत्तर क्षेत्र) में एयर कनेक्टिविटी और एविएशन इन्फ्रास्ट्रक्च र प्रदान करने की योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश में पासीघाट और जीरो नाम के दो उन्नत लैंडिंग ग्राउंड भी चालू किए गए हैं।
उड़ान के तहत केंद्र ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी मार्गों के तहत प्रति सीट 500 किमी से 600 किमी की दूरी के लिए 2,500 रुपये के सांकेतिक हवाई किराए का लक्ष्य रखा है। चयनित एयरलाइन ऑपरेटर को उड़ान के तहत विमान की बैठने की क्षमता का 50 प्रतिशत या अधिकतम 40 सीटें, जो भी कम हो, प्रदान करने की आवश्यकता होती है।
हेलीपोर्ट परिचालन के लिए चिन्हित किए गए
अधिकारियों ने कहा कि उड़ान के तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर संचालन की अनुमति है। इसमें जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप द्वीप समूह शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि उड़ान के तहत बोली के चार दौर के दौरान पूर्वोत्तर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में दूरस्थ/प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कई हेलीपोर्ट आने वाले समय में परिचालन के लिए चिन्हित किए गए हैं।