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मोदी-शाह से मुलाकात के बाद सिंधिया ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा, BJP में आज हो सकते है शामिल

मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जारी सियासी घटनाक्रम के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया

मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जारी सियासी घटनाक्रम के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कल यानि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और उनके साथ ही 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया जिससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है। वहीं, मंगलवार को भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक भी हुई जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल हुए। 
ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो सकते है माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेज सकती है, इसके अलावा उन्हें मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में भी जगह मिल सकती है। भाजपा मुख्यालय में आयोजित बैठक में शामिल होने वालों में गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, थावर चंद गहलोत के अलावा सैयद शाहनवाज हुसैन आदि शामिल हैं । समझा जाता है कि पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राज्यसभा चुनाव के लिये पार्टी उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हुई । सूत्रों ने बताया कि सिंधिया 12 मार्च को अपने समर्थकों एवं कांग्रेस के कई विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम सकते हैं । 
सूत्रों ने यह भी बताया कि भाजपा में शामिल होने से पहले सिंधिया ग्वालियर में अपने समर्थकों को संबोधित कर सकते हैं । मंगलवार दोपहर को गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा की भी बैठक हुई । मंगलवार की सुबह जब देश होली मना रहा था, तभी सिंधिया ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर मुलाकात की। इससे पहले, मंगलवार सुबह प्रधानमंत्री मोदी के साथ सिंधिया की बैठक लगभग एक घंटे तक चली। इसके बाद सिंधिया ने ट्विटर पर अपना इस्तीफा पोस्ट किया। सिंधिया का इस्तीफा नौ मार्च की तारीख का है। बैठक में क्या बातचीत हुई, इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है। 
हालांकि, भाजपा सूत्रों ने कहा कि सिंधिया से लंबी बातचीत करने का भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं का फैसला इस बात को दर्शाता है कि वे उन्हें (सिंधिया को) कितना महत्व देते हैं। समझा जाता है कि मोदी और शाह ने सिंधिया के पार्टी में शामिल होने के बारे में रूपरेखा पर चर्चा की । सूत्रों ने बताया कि सिंधिया को राज्यसभा भेजा जा सकता है और मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने की स्थिति में उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी स्थान दिया जा सकता है । 
बहरहाल, सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते सिंधिया को निष्कासित किया गया है। इसके बाद सिंधिया समर्थक प्रदेश सरकार में कांग्रेस के कई मंत्रियों सहित 19 विधायकों ने ई मेल के जरिये राजभवन को अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफे भेजा। बाद में कांग्रेस के तीन अन्य विधायकों बिसाहूलाल सिंह, विधायक एंदल सिंह कंषाना तथा देवास की हाटपिपल्या से विधायक मनोज चौधरी ने इस्तीफा दे दिया । 
कांग्रेस के बागी विधायकों के इस कदम से प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है। मध्य प्रदेश में यह राजनीतिक स्थिति ऐसे समय में उत्पन्न हुई है जब प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। गुणा के पूर्व सांसद के समर्थक विधायकों का कहना है कि सिंधिया अपनी अनदेखी से क्षुब्ध हैं। पिछले काफी समय से सिंधिया और कमलनाथ के बीच खींचतान की खबरें आ रही थी । दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया। 
हालांकि, समस्या हाल में तब बढ़ गई जब सरकार में सिंधिया समर्थकों को दरकिनार किये जाने और मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने की उनकी महत्वाकांक्षा पूरी नहीं होने की खबरें आईं । ऐसी भी खबरें आई कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनकी शिकायतें सुनने को तैयार नहीं था। मध्यप्रदेश में राज्यसभा चुनाव 26 मार्च को होने हैं जबकि प्रदेश विधानसभा का सत्र 16 मार्च को बुलाया गया है । इस बीच, भोपाल में आज शाम भाजपा विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बुधवार को दिल्ली पहुंचने की संभावना है। 
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से दो सीटें फिलहाल खाली हैं। इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं। अगर 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिये जाते हैं तो विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या महज 206 रह जाएगी। उस स्थिति में बहुमत के लिये जादुई आंकड़ा सिर्फ 104 का रह जाएगा। 
ऐसे में, कांग्रेस के पास सिर्फ 92 विधायक रह जाएंगे, जबकि भाजपा के 107 विधायक हैं। कांग्रेस को चार निर्दलीयों, बसपा के दो और सपा के एक विधायक का समर्थन हासिल है। उनके समर्थन के बावजूद कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से दूर हो जाएगी। भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने सिंधिया के इस्तीफे पर कहा, “ वह बड़े नेता हैं, सौम्य नेता हैं, अगर वह पार्टी में शामिल होते हैं तो उनका स्वागत है।” दूसरी ओर, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को मंगलवार को पत्र लिखकर कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति आस्था जताने वाले अपने मंत्रिमंडल के छह मंत्रियों को तत्काल हटाने की सिफारिश की है।
वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा मंगलवार सुबह को दिल्ली से वापस भोपाल पहुंचे हैं। मध्यप्रदेश में जारी सियासी घटनाक्रम के बीच राज्य के कांग्रेस के करीब डेढ दर्जन बागी विधायक पिछले कुछ दिनों से बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में डेरा डाले हुए हैं। इससे पहले सोमवार रात को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गृह मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह से मुलाकात की थी। सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच यह बैठक करीब दो घंटे चली। समझा जाता है कि इस बैठक में मध्य प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा हुई। इससे पहले शिवराज सिंह ने पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से भी मुलाकात की थी। 

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