जम्मू-कश्मीर (J&K) से Article-370 को निरस्त करने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 11 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगा। याचिकाओं में Article-370 को निरस्त करने के फैसले को गैर संविधानिक घोषित करने की मांग की गई है। गौरतलब है कि 370 को केंद्र सरकार ने 5 सितंबर 2019 को निरस्त कर दिया था। इसके बाद फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, तभी से यह मामला विचाराधीन है।
हाइलइट्स
बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज फैसला सुनाएगी।
केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले के बचाव में पीठ को बताया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान को निरस्त करने में कोई संवैधानिक धोखाधड़ी नहीं हुई थी। इसे कानून की मदद से हटाया गया था। जम्मू और कश्मीर एकमात्र राज्य नहीं था जिसका भारत में विलय दस्तावेजों के माध्यम से हुआ था। कई अन्य रियासतें भी आजादी के बाद शर्तों के साठ भारत में शामिल हुई थीं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की और कहा अनुच्छेद 370 अब अस्थायी प्रावधान नहीं है और जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा के विघटन के बाद इसे स्थायित्व मिल गया है। उन्होंने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए संसद खुद को जम्मू-कश्मीर की विधायिका घोषित नहीं कर सकती थी। संविधान का अनुच्छेद 354 शक्ति के ऐसे प्रयोग को अधिकृत नहीं करता है।
सरकार की तरफ से- अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ वकील हरीष साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरि।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से- कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह और दुष्यंत दवे।
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