बैंक कर्मियों की देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन शनिवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेवाएं प्रभावित हुई। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) ने इस हड़ताल का आह्वान किया है। यह ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयज एसोसिएशन (एआईबीईए) और नेशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स समेत नौ कर्मचारी संगठनों का निकाय है। बैंक कर्मी वेतन वृद्धि की मांग को लेकर 31 जनवरी से दो दिन की हड़ताल पर हैं। बैंक कर्मियों के वेतन वृद्धि का मामला नवंबर 2017 से लंबित है।
हालांकि आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक समेत निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज चालू है। देश के विभिन्न हिस्सों के मिली खबरों के अनुसार कई जगह बैंक शाखाएं बंद रही और कुछ एटीएम में भी नकदी समाप्त हो गई। भारतीय स्टेट बैंक समेत कई बैंकों ने ग्राहकों को पहले की सूचित कर दिया था कि हड़ताल के कारण काम-काज कुछ हद तक प्रभावित हो सकता है।
इस हड़ताल के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नकद निकासी, जमा, रिण अदायगी और चेक समाशोधन समेत विभिन्न सेवाएं प्रभावित हुईं। सरकारी बैंकों की हड़ताल ऐसे समय हो रही है जब शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 का आम बजट पेश किया गया है। यूनियन का दावा है कि सार्वजनिक बैंकों और निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों के करीब 10 लाख कर्मी और अधिकारी हड़ताल में भाग ले रहे हैं।
श्रमिक संगठनों के अनुसार बातचीत के दौरान आईबीए ने पेशकश सुधारते हुए वेतन में 13.5 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव दिया लेकिन यह हमें स्वीकार नहीं है। हालांकि आईबीए ने एक बयान में कहा कि हमने बृहस्पतिवार को प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन समेत संशोधित पेशकश में 19 प्रतिशत तक वृद्धि की पेशकश की लेकिन इसके बावजूद यूनियन ने हड़ताल पर जाने का निर्णय किया।