जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरुवार 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ जिसमें सीआरपीएफ के 44 जवानों ने अपनी जान दे दी। इन्हीं जवानों में से एक जवान के घर शुक्रवार को गम का माहौल था। उस जवान का 5 साल का बेटा है और वह अपनी मां और दादी को रोता-बिलखता देखकर बहुत हैरान हो रहा था और परेशान भी।
उसे छोटे से बच्चे को यह पता ही नहीं था कि उसके पंजाब के मोगा के घलोटी खुर्द गांव में उसके घर में क्या हो रहा था उसे उसका कोई अंदाजा नहीं था। उसे पांच साल के बच्चे को यह पता था कि उसके पिता इस समय जम्मू में ड्यूटी पर हैं और जल्द घर आएंगे। हम बात कर रहे हैं शहीद साआरपीएफ हेड कॉन्स्टेबल जयमाल सिंह की उम्र 44 साल की थी उनकी इस हमले में मौत हो गई।
बेटे ने कहा पाप वापिस आएंगे
गुरप्रकाश ने कहा, पापा जम्मू में हैं, जल्द ही वापस आएंगे। वह सीआपीएफ में हैं। वहां से हमारे लिए पैसे लाएंगे। गुरप्रकाश जयमाल सिंह के बेटे हैं और वह सीआरपीएफ में बस ड्राइवर थे।
जयमाल सिंह का एक ही सपना था कि वह अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दे सकें। पढ़ाई के लिए ही वह अपने परिवार के साथ इसी महीने के आखिरी में चंडीगढ़ शिफ्ट होने वाले थे। उन्होंने जालंधर में अपने बेटे गुरप्रकाश का दाखिला कॉन्वेंट स्कूल में करवा दिया था ताकि वह अपने बेटे को अच्छी पढ़ाई दें सकें। जयमाल सिंह अपनी घर की वित्तीय परेशानियों की वजह से ज्यादा नहीं पढ़ पाए थे और सेना में भर्ती हो गए थे।
जयमाल की पत्नी सुखजीत ने कहा, हम इस महीने के अंत में चंडीगढ़ शिफ्ट होने वाले थे। वह चाहते थे कि हमारा बेटा कक्षा 1 से नए स्कूल में पढ़ाई करे। हमारा बेटा हमारी शादी के 18 साल बाद कई मुश्किलियों से हुआ था। पूरी दुनिया में वह जिस इंसान से सबसे ज्यादा प्यार करते थे वह हमारा बेटा है। मुझे नहीं पता कि गुरप्रकाश अब अपने पिता के बिना कैसे जीएगा।
शहीद जयमाल सिंह ने पहले अपने भाई-बहनों को पढ़ाया और अब वह अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देने चाहते थे। उनकी विवाहित बहन हरविंदर कौर ने कहा, सिर्फ मेरा बड़ा भाई ही था जिसने माता-पिता केसाथ लड़ाई करके मुझे आगे पढ़ाया था क्योंकि उन्होंने मेरी पढ़ाई 8वीं क्लास के बाद बेद कर दी थी। हमारा परिवार बहुत गरीब था जिसके लिए उन्होंने सेना एन्जॉय की और घर के खर्च में साथ दिया।
भारत सरकार की लापरवाही की वजह से हुआ आतंकी हमला
गुरुवार को जयमाल ने सुबह 8 बजे अपनी पत्नी से बात की थी। सुखजीत ने कहा, उन्होंने मुझे बताया कि वह एक दूसरे ड्राइवर की जगह जा रहे हैं क्योंकि वह अपने बेटे की शादी के लिए छुट्टी लेकर घर गया है। उन्होंने कहा वह बाद में बात करेंगे लेकिन बाद में फोन आया ही नहीं।
सुखजीत ने कहा, वह और गुरुप्रकाश दिन में कम से कम 5-6 बार फोन पर बात करते थे। दोनों वीडियो कॉल पर घंटों तक बात करते थे और गुरुप्रकाश अपने दिन की सारी बातें अपने पापा को बताता था। जब वह दोनों एक साथ होते थे तो वह बहुत सारी सेल्फी खिंचवाते थे। इस घातक हमले की साजिश रचने वाले पाकिस्तान और बाहरी ताकतों को दोषी ठहराने से पहले मैं अपनी ही सरकार से सवाल करना चाहती हूं कि कैसे विस्फोटक से भरा हुआ वाहन सीआरपीएफ के वाहनों के पास पहुंचने में सफल रहा। यह हमारी अपनी सरकार की लापरवाही और विफलता की वजह से हुआ है। क्या उनके पास कोई जवाब है कि मेरा 5 साल का बेटा अपने पिता के बिना कैसे रहेगा?