राकांपा प्रमुख शरद पवार ने राज्यसभा में मनोनयन को लेकर पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर निशाना साधने के लिए पिछले वर्ष उनके द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद की नियुक्ति के बारे में की गई टिप्पणी का मंगलवार को उल्लेख किया।
पवार ने कहा कि संस्थाओं पर हमला किया जा रहा है और न्यायपालिका के लिए स्थिति कोई अलग नहीं है।
पवार ने कहा, ‘‘मैंने एक अखबार में पढ़ा था कि पूर्व सीजेआई ने कहा था, ‘एक मजबूत धारणा है कि सेवानिवृत्ति के बाद होने वाली नियुक्तियां न्यायपालिका की आजादी पर एक धब्बा है।’ यह बयान न्यायमूर्ति गोगोई का था। अब हम पढ़ रहे हैं कि संसद जाने का उनका मार्ग प्रशस्त कर दिया गया है।’’
पवार ने यह टिप्पणी भालचंद्र मुंगेकर की पुस्तक ‘माई एनकाउंटर्स इन पार्लियामेंट’ के विमोचन के मौके पर कही। इस मौके पर पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, भाकपा महासचिव डी राजा और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी भी उपस्थित थे।
पवार ने न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की टिप्पणी का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा था कि कोई भी ऐसे व्यक्ति से न्याय की उम्मीद नहीं कर सकता जो सेवानिवृत्ति की कगार पर सेवानिवृत्ति के बाद के काम के लिए सत्ता के गलियारों में जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम न्यायपालिका की स्थिति के बारे में न्यायपालिका के प्रतिनिधियों से ही सुनते हैं।’’
पवार ने कहा कि मीडिया क्षेत्र भी सरकार द्वारा लगातार निशाने पर है और यदि कोई सरकार के खिलाफ अपने विचार व्यक्त करता है तो उन्हें यह संदेश दिया जाता है कि जो उन्होंने किया वह सही नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया की स्वतंत्रता पर दबाव है।